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पहाड़ी भाषी लोगों को एसटी (अनुसूचित जनजाति) का दर्जा मिलने से अब वर्षों पुरानी मांग पूरी हुई है। फैसला आने के बाद इससे जुड़े लोगों में खुशी है। वहीं, बुधवार को पुंछ और राजोरी में कानून व्यवस्था न बिगड़े इसके चलते इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। दोनों जिलों में अलग-अलग जगहों पर पुलिस की तैनाती भी की गई है। जम्मू शहर में भी प्रुमुख चौक-चाराहों पर पुलिस की सुरक्षा बढ़ाई गई है।
गुज्जर-बकरवाल समुदाय से जुड़े लोग पहाड़ियों को एसटी का दर्जे का विरोध करते आ रहे हैं। इसे लेकर समय-समय पर रैली, रोष-प्रदर्शन किए गए। मंगलवार को भी जम्मू विश्वविद्यालय में गुज्जर-बकरवाल समुदाय से जुड़े छात्रों ने इसका विरोध किया।
उधर, पहाड़ी भाषी से जुड़े लोगों का कहना है कि उनकी भाषी लोगों की संस्कृति खतरे में थी। इन्हें न तो आरक्षण मिला था न ही रोजगार मिल पा रहा था। लोग पुरानी तर्ज पर जीवन व्यतीत कर रहे थे। इनका रहन-सहन गुज्जर-बकरवालों की तरह था। सरकार की ओर से पर्याप्त लाभ नहीं मिल रहा था। अब फैसला आने के बाद खुशी हो रही है।
अब नौकरी हासिल करने में राहत मिलेगी। वहीं, जीवन शैली में सुधार हो सकेगा। साथ ही संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। फैसला आने के बाद राहत मिली है। अब लोगों के साथ न्याय हुआ है। उन्होंने कहा कि गुज्जर बकरवालों को पहले ही कोटा मिल गया था।
अब पहाड़ी लोगों को भी एसटी का दर्जा मिला है। बच्चे भी पढ़ाई लिखाई कर आगे बढ़ सकेंगे। – युरताज अकसिर, सदस्य, पहाड़ी ट्राइबल एंड एसटी फोरम जेएंडके
इस फैसले से प्रदेश में 15 लाख पहाड़ी कबीले के लोगों की जिंदगी बदलेगी। 35 सालों से संघर्ष किया जा रहा था। अब मांग पूरी हुई है। समय के हिसाब से डोगरी, गोजरी, पंजाबी सहित अन्य समुदाय के लोग जीवन में सुधार हो सकेगा। – गुरदेव सिंह ठाकुर, राज्यकार्यकारी सदस्य, आल जेएंडके पहाउ़ी ट्राइव एसटी फोरम