भोपाल, 10 अप्रैल 2025, गुरुवार: मध्यप्रदेश के कला जगत में एक गहरी शून्यता छा गई है। सागर जिले के गौरव, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोकनृत्य कलाकार पद्मश्री रामसहाय पांडे के निधन ने न केवल बुंदेलखंड, बल्कि पूरे देश को शोक में डुबो दिया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए इसे कला और संस्कृति के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति बताया।

विपरीत धारा में बहता एक सितारा
रामसहाय पांडे का जीवन संघर्ष और समर्पण की मिसाल है। विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने कला को अपना रास्ता बनाया और बुंदेलखंड के पारंपरिक राई लोकनृत्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा, “धारा के खिलाफ बहते हुए उन्होंने न सिर्फ भारत, बल्कि विदेशों में भी राई नृत्य को पहचान दिलाई। उनकी कला ने सीमाओं को तोड़ा और संस्कृति को वैश्विक मंच पर स्थापित किया।” इस अतुलनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा था।

बुंदेलखंड का गौरव, कला का अलंकार
रामसहाय पांडे केवल एक नृत्यकार नहीं थे, वे बुंदेलखंड की आत्मा थे। उनके कदमों में थिरकती राई नृत्य की लय ने हर मंच पर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। मुख्यमंत्री ने उनके जीवन को प्रेरणादायी बताते हुए कहा, “लोक कला और संस्कृति के प्रति उनका समर्पण हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा। उनका जाना मध्यप्रदेश और कला जगत के लिए ऐसा नुकसान है, जिसकी भरपाई असंभव है।”

श्रद्धांजलि और संवेदना
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्वर्गीय पांडे को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। साथ ही, शोकाकुल पांडे परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “भगवान इस दुख की घड़ी में उनके परिजनों को संबल प्रदान करें।”
रामसहाय पांडे भले ही आज हमारे बीच न हों, लेकिन उनकी कला और उनका जुनून आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमिट छाप छोड़ गया है। राई नृत्य की हर थाप में उनकी धड़कनें हमेशा गूंजती रहेंगी।