36.1 C
Delhi
Wednesday, May 8, 2024

मुलायम सिंह के साथ अब धोती वाले नेता खत्म

एक्सप्रेस वे से नीचे उतरने पर सैफई गांव की सीमा में पहुंचते ही गमगीम महौल साफ दिखता है। गांव के चारों तरफ बनी सड़क पर हर कदम पांडाल की ओर बढ़ते नजर आए। दुकानें बंद हैं। राजित की किराने की दुकान के बाहर कुछ लोग बैठे हैं। यहां वीडियो चल रहा है। मुलायम सिंह की तस्वीर केसाथ संगीत सुनाई पड़ता है। बोल थे खुश रहो खुश रहो अहल इ वतन, हम अपना फ़ज़ॱर निभाके चले। हम तो सारे वतन को जगा के चले। याद आए हमारी तो रोना नहीं…। इस गीत को सुन वहां बैठे लोगों की आंखें नम हो गईं। पूछने पर राजित बताते हैं कि आज ऐसे नेता की विदाई हो रही है, जिसने परिवार ही नहीं, सैफई और कोठी में आने वाले हर व्यक्ति का ख्याल रखा। यहां बैठे राकेश यादव बकेवर के हैं। उनके पिता ने मुलायम सिंह की कोठी पर बेटे के लिए नौकरी मांगा। जब मुलायम मुख्यमंत्री बने तो उन्हें जल निगम में नौकरी मिली।

यहां बैठेअन्य लोग भी कुछ ऐसी ही बातें बताते हैं। कहते हैं कि कोठी में जिसने भी फरियाद लगाई, वह निराश नहीं हुआ। मुलायम के जमाने में इटावा का होना ही बड़ी बात थी, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। उन्हें डर हैकि नया नेतृत्व तवज्जो देगा या नहीं।

तभी यहां बैठे विक्रम कहते हैं कि नेताजी कहा करते थे कि बहादुर बनो, शिक्षित बनो। अब वे नहीं हैं। लेकिन जो रास्ता दिखाया है,उस पर चलकर परिवार को बहादुर और शिक्षित बनाएंगे। इसी तरह यहां जितने से बात करो, हर कोई नेताजी से जुड़ी एक नई कहानी बताता है।

मुलायम सिंह के आवास के पीछे रहने वाले निरंजन सिंह कहते है कि इस गांव को उन्होंने सबकुछ दिया। गांव को संवारा। स्कूल से लेकर अस्पताल बनवाया। वह बताते हैं कि उनकी बेटी की शादी में नेताजी ने गुप्त दान दिया था। उनके तीनों बेटों को नौकरी नहीं मिली तो खुद की कंस्ट्रक्शन कंपनी बनवा दी। वे शहर में रहते हैं। वह गांव में अकेले रहते हैं। बिलखते हुए कहते हैं कि उनकेमसीहा चले गए। अब उनकी भी मौत हो जाए तो अच्छा है।

सैफई पांडाल से लौटने के बाद सड़क के किनारे महिलाएं बैठी दिखती हैं। पूछने पर बताती है कि बगल केगांव की हैं। कोठी की बात करते ही सुबकने लगती हैं। बताती है कि मुलायम के होने और न होने में बड़ा अंतर है। वह जब भी आते थे।

राह चलते वक्त गाड़ी रोक देते। खेत में काम करने वाली महिलाओं से बात करते। खाने से लेकर पहनने के इंतजाम तक पूछते। बीमार होने पर तुरंत अस्पताल भेजवाते थे। जब तक वे निरंतर गांव आते रहे, तब तक कोई निराशा नहीं रही। कुछ दिन से बदलाव दिख रहा है। आगे कोई उनका ख्याल रखेगा, इस पर संशय है।

नेताजी को श्रद्धांजलि देकर लौट रहे करहल के सैफुद्दीन कहते हैं कि मुलायम सिंह के साथ अब धोती वाले नेता खत्म हो गए हैं। इटावा, मैनपुरी में कभी धार्मिक तनाव नहीं हुआ। किसी ने गुस्ताखी की तो नेताजी ने खत्म कराया। कस्बे की बेटियों को पढ़ाने का इंतजाम किया। वे जब भी कस्बे में आते तो यही दुहराते कि बेटियों को स्कूल जरूर भेजो।

anita
anita
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles