यह हो सकता है फॉर्मूला
उधर, भाजपा सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार ने उक्त आशय का जिक्र पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में किया था। भाजपा या गठबंधन दलों के स्तर पर उन्होंने इस संबंध में अब तक कुछ नहीं कहा है। अगर नीतीश भाजपा के समक्ष इस आशय की इच्छा व्यक्त करेंगे, तब राज्य की सियासत में बदलाव के लिए संभावित फार्मूले पर बातचीत होगी। इस बीच, चर्चा का बाजार गर्म है कि एक सहमति के तहत भाजपा उन्हें उपराष्ट्रपति बनाने की पेशकश कर सकती है। ऐसे में बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री हो जाएगा और बदले जदयू को उपमुख्यमंत्री के दो पद मिलेंगे।
यह जोखिम लेना पसंद नहीं करेंगे
इस फार्मूले को लागू करना आसान नहीं है। अगर नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति बने तो वह सक्रिय राजनीति से दूर हो जाएंगे। ऐसे में जदयू के पास ऐसा कोई ऐसा नेता नहीं है, जो पार्टी को संभाल पाए। किसी एक नेता पर सहमति बनाना भी आसान नहीं है। इससे जदयू में भगदड़ की स्थिति बन सकती है, इसलिए वह यह जोखिम लेना पसंद नहीं करेंगे।
बिहार विधानसभा में जदयू के पास इस बार भाजपा के मुकाबले आधी सीटें हैं। नीतीश फिर से मुख्यमंत्री तो बन गए हैं, मगर सरकार में उनकी पिछले कार्यकाल जैसी धमक नहीं है। उन्हें कई बार भाजपा के समक्ष हथियार डालने पड़े हैं। हाल ही में गठबंधन की सहयोगी वीआईपी के तीन विधायकों के पाला बदलने से भाजपा के विधायकों की संख्या 77 हो गई है। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस के कई विधायक भाजपा के संपर्क में हैं।