नई दिल्ली, 2 फरवरी 2025, रविवार। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मच्छर नियंत्रण के लिए मछलियों की दो अत्यधिक आक्रामक और विदेशी प्रजातियों का ‘जैविक एजेंट’ के रूप में इस्तेमाल किए जाने को लेकर केंद्र से जवाब मांगा है। ये दो प्रजातियां हैं – ‘गम्बूसिया एफिनिस’ (मस्कीटोफिश) और ‘पोसिलिया रेटिकुलता’ (गुप्पी)। इन मछलियों को विभिन्न राज्यों में मच्छरों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए जलाशयों में छोड़ा जा रहा है।
इन राज्यों में असम, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश शामिल हैं। वहीं, गुप्पी प्रजाति को महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब और ओडिशा में छोड़ा गया था।
राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण ने इन दो प्रजातियों को ”आक्रामक और विदेशी” घोषित किया है। इन्होंने स्थानीय जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, जिससे देशी मछली प्रजातियों के लिए भोजन की कमी हो रही है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों ने भी मस्कीटोफिश पर प्रतिबंध लगाया है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने 24 जनवरी के अपने आदेश में कहा, ”प्रतिवादियों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करें।” इस मामले के प्रतिवादियों में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र शामिल हैं। मामले में अगली सुनवाई छह मई को होगी।