संजय लीला भंसाली की महाकाव्य गाथा ‘हीरामंडी: द डायमंड बाजार’ का आखिरकार 1 मई को नेटफ्लिक्स पर प्रीमियर हो गया है। यह सीरीज लाहौर में स्थित सुंदरियों के बाजार, जो एक समय पर लोकप्रिय हीरा मंडी की वेश्याओं की एक काल्पनिक कहानी है। फिल्म निर्माता ने अपनी वेब सीरीज के लिए वास्तविक जीवन की घटनाओं से प्रेरणा ली। कहा जाता है कि हीरामंडी की कई कहानियां वास्तव में सच हैं। हालांकि, एक ऐसी ही सच्ची कहानी है- निग्गो की। चलिए जानते हैं उस तवायफ की सच्ची कहानी, जो हीरामंडी की कहानी में सच्चाई की झलक दिखाती है।
तवायफ से बनीं शीर्ष अभिनेत्री
पाकिस्तान का फिल्म उद्योग लॉलीवुड लाहौर में स्थित है, यह वही शहर है, जहां एक समय में हीरा मंडी का शासन था। विभाजन के बाद यह पंजाबी और उर्दू में फिल्मों का निर्माण करने वाला एक प्रमुख फिल्म उद्योग बन गया। कई वेश्याओं को फिल्म निर्माताओं ने अभिनेत्रियों के रूप में पहचान दिलाई। यह 60 का दशक था, जब नरगिस बेगम उर्फ निग्गो ने स्टार बनने के लिए हीरा मंडी छोड़ दी थी। नृत्य कौशल के लिए जानी जाने वाली निग्गो लॉलीवुड में शीर्ष आइटम गर्ल बन गईं और 100 से अधिक फिल्मों में दिखाई दीं। उन्होंने 1964 में ‘इशरत’ से डेब्यू किया था।
फिर कोठे की रौनक बनीं निग्गो
1971 में फिल्म ‘कासु’ की शूटिंग के दौरान निग्गो की मुलाकात फिल्म निर्माता ख्वाजा मजहर से हुई। दोनों को प्यार हो गया और उन्होंने शादी कर ली, लेकिन निग्गो की मां से इसे मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि एक तवायफ की शादी को हमेशा नापसंद किया जाता था। निग्गो की मां ने अपनी बीमारी का बहाना बनाया और निग्गो को वापस हीरा मंडी ले आई, जहां निग्गो की मां ने उन्हें धमकियां दीं और कोठे पर रहने के लिए उनका ब्रेनवॉश किया।
निग्गो का दुखद अंत
इसके बाद निग्गो हीरा मंडी में ही रुकी रहीं। उनके पति निर्माता ख्वाजा मजहर ने उन्हें वापस लाने के लिए कई कोशिशें कीं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 5 जनवरी 1972 को मजहर उन्हें घर लौटने के लिए मनाने हीरा मंडी पहुंचे, लेकिन फिर असफल रहे। इसके बाद उन्होंने अपना आपा खो दिया और निग्गो की गोली मारकर हत्या कर दी। गोलीबारी में निग्गो के चाचा और दो संगीतकारों की भी हत्या कर दी गई। निग्गो के पति को सार्वजनिक मुकदमे में अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उसकी स्वाभाविक मौत हो गई। निग्गो को लाहौर के मियां साहिब कब्रिस्तान में दफनाया गया।