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Wednesday, May 8, 2024

सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा, कोरोना से मौतें होने वाली रिपोर्ट को सरकार ने गलत बताया

देश में कोरोना के सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा मौतें होने व मरीजों की संख्या भी अधिक होने को लेकर आई मीडिया रिपोर्ट को सरकार ने पूरी तरह गलत बताया है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि वह कोविड डाटा मैनेजमेंट को लेकर पूरी तरह पारदर्शिता का दृष्टिकोण अपना रही है। 

सरकार ने कहा कि देश में सारे कोरोना संक्रमितों व मृतकों का डाटा संकलित करने का एक मजबूत सिस्टम कार्यरत है। सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को अपने राज्यों में मरीजों व मृतकों की संख्या को लगातार अपडेट करने की जिम्मेदारी दी गई है। कोरोना से होने वाली सारी मौतों को दर्ज करने का सिस्टम पहले से अस्तित्व में है। 

 
केंद्र ने कहा कि देश में कोरोना के आंकड़े एकत्रित करने के लिए आईसीएमआर की गाइड लाइन का पालन किया जा रहा है। यह गाइड लाइन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सही ढंग से आंकडे संकलित करने को लेकर जारी आईसीडी-10 कोड्स की सिफारिशों पर आधारित है। 
टोरंटो के सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ ने लगाया 33 लाख मौतों का अनुमान
बता दें, टोरंटो विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ रिसर्च के डॉ प्रभात झा और डार्टमाउथ कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के डॉ. पॉल नोवोसाद द्वारा लिखित एक अध्ययन में भारत में 27 से 33 लाख लोगों की मौत का अनुमान जताया गया है। यह अध्ययन जून 2020 और 2021 के बीच आठ राज्यों और सात शहरों में दर्ज अधिक मृत्यु दर पर आधारित है, और इसी की गणना के आधार पर अनुमान लगाया गया है।

इस अध्ययन में दावा किया गया है कि 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान दर्ज की गई औसत अतिरिक्त मृत्यु दर 22 फीसदी थी। इस दौरान आंध्र प्रदेश में 63 फीसदी से लेकर केरल में 6 फीसदी तक मृत्युदर थी, जो इस साल अप्रैल और जून के बीच महामारी की दूसरी लहर के दौरान बढ़कर 46 फीसदी हो गया और मध्यप्रदेश में सबसे अधिक 198 फीसदी तक मृत्युदर दर्ज की गई।

पिछले वर्षों की तुलना में 2020 और 2021 में किसी भी कारण से होने वाली मौतों की संख्या के बीच का अंतर अधिक मृत्यु दर को बढ़ाता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इनमें से अधिकतर अतिरिक्त मौतें कोविड-19 के कारण हुई हैं।

एक अन्य अध्ययन में किया गया 49 लाख मौतों का दावा
कुछ दिन पहले एक अन्य अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में कोरोना से 34 से 49 लाख लोगों की मौतें हुईं। यह संख्या भारत सरकार के आंकड़ों से 10 गुना से भी ज्यादा है। इस रिपोर्ट को तैयार करने वालों में चार साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन भी शामिल हैं।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 27 जुलाई तक के भारत में कुल 3,14,40,951 लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं। इनमें से 3,06,21,469 यानी 97.39 फीसदी मरीज स्वस्थ्स हो चुके हैं। देश में अब तक कुल 4,21,382 लोगों की इस महामारी से मौत हुई है। देश की कोरोना से मृत्यु दर 1.34 फीसदी है। 
जाली कोरोना जांच रिपोर्ट: राज्यों से मांगा ब्योरा, उत्तराखंड की फर्मों के खिलाफ एफआईआर
इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि जाली कोरोना टेस्ट रिपोर्ट को लेकर राज्यों से ब्योरा मांगा गया है। उत्तराखंड में इस मामले में लिप्त फर्मों के खिलाफ एफआईआर दायर की गई है। 

केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने बताया कि उत्तराखंड ने जाली कोविड टेस्ट रिपोर्ट मिलने की सूचना दी है। राज्यसभा में सवाल पूछा गया था कि कई निजी फर्म जाली कोविड टेस्ट रिपोर्ट दें रहीं हैं और यह गिरोह लोगों का जीवन संकट में डाल रहा है, क्या सरकार को इसकी जानकारी है? 

मंत्री पवार ने कहा कि जिन राज्यों में जाली रिपोर्ट के मामले सामने आए हैं, उन्हें उत्तराखंड की तरह केंद्र को जानकारी देने को कहा गया है। उत्तराखंड में मामले से संबंधित फर्मों के खिलाफ एफआईआर कराई गई है। इसमें शामिल सभी लैबोरेटरी के खिलाफ पुलिस जांच कर रही है। उन्हें आगे जांच से प्रतिबंधित कर दिया गया है और उनका भुगतान भी रोक दिया गया है। 

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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