शाहजहांपुर। शिक्षा और जागरूकता के अभाव के चलते घनी आबादी वाले मोहल्लों के लोग टीबी की चपेट में आ रहे हैं। पिछले वर्षों में ऐसे मोहल्लों में अधिक रोगी मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने एक बार से यहीं पर ध्यान केंद्रित किया है। अधिकारियों के अनुसार, शहरी क्षेत्र के ककरा, हयातपुरा, जलालनगर, मामूड़ी आदि में स्क्रीनिंग के दौरान टीबी के अधिक रोगी मिलते हैं।
क्षय रोग उन्मूलन के तहत शुक्रवार से घर-घर रोगियों को खोजने का अभियान शुरू कर दिया गया है। जिले की 20 प्रतिशत आबादी को कवर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तीन सौ टीमों का गठन किया है। घनी बस्तियों में मरीजों के अधिक होने की संभावना के चलते वहां पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। आंकड़ों पर नजर डालें तो शहरी क्षेत्र में टीबी के 410 मरीजों की दवा चल रही है। इनमें 25 प्रतिशत मरीज घनी आबादी वाले क्षेत्रों के हैं। जिला क्षय रोग विभाग के जिला समन्वयक रंजीत सक्सेना ने बताया कि टीमें अल्हागंज, भावलखेड़ा, पुवायां, तिलहर, शहरी क्षेत्रों में अभियान चलाकर घर-घर दस्तक देकर संदिग्धों की स्क्रीनिंग करेंगी। घनी और मलिन बस्तियों में टीबी के रोगी अधिक मिलते हैं।
अभियान के पहले चरण में मिले दो मरीजक्षय उन्मूलन के लिए पहले चरण में 20 से 23 फरवरी तक शुरू किए अभियान में मदरसों, जिला कारागार और वृद्घावस्था आश्रम में मरीजों की स्क्रीनिंग की गई। टीमों ने संदिग्ध लगने पर बलगम की जांच कराई तो जिला कारागार में दो नए मरीज मिले हैं। इनमें एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंट) का एक मरीज भी शामिल हैं। उनका उपचार शुरू करा दिया गया है।
जागरूकता के अभाव में दूसरों को बांट देते रोग-घनी आबादी में रहने वाले खुद के साथ दूसरे व्यक्ति को भी क्षय रोग का संक्रमण दे देते हैं। अशिक्षा व जागरूकता के अभाव के चलते दूरी बनाकर रहने के बजाये नजदीक से बात करने पर टीबी का बैक्टीरिया फैलता है। जिला समन्वयक रंजीत सक्सेना ने बताया कि लगातार खांसी आना, बुखार, भूख नहीं लगना और वजन कम होने पर छिपाएं नहीं, बल्कि जांच कराएं। जांच में रोग की पुष्टि होने पर छह माह तक दवा खाकर व्यक्ति स्वस्थ हो सकता है।
जिले में घर-घर टीमें दस्तक देगी। मेरी अपील है कि टीमों का सहयोग करते हुए उन्हें पूरी बात बताएं, जिससे टीबी के उन्मूलन की दिशा में कदम उठाया जा सकें। डॉ.आरके गौतम, सीएमओ