संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। विपक्ष के नेता भी थोड़ी देर में इंडिया के बैनर तले सांसद में अपने एजेंडे को लेकर बैठने वाले हैं। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह सब कुछ संसद के पुराने और ऐतिहासिक भवन से ही होगा। प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट के सदस्य भी पुराने भवन के कार्यालय से ही कामकाज की औपचारिकता पूरी करेंगे।
हालांकि संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कर चुके हैं। ऐसे में एक बड़ा सवाल है कि उद्घाटन के बाद भी मानसून सत्र पुराने भवन से क्यों? फिर इसके उद्घाटन के क्या माने? इस सवाल के जवाब में संसदीय सचिवालय के अधिकारी कुछ नहीं बोलना चाहते। राजेश कालरा कहते हैं कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं पता। उद्घाटन से पहले वह भी सोच रहे थे कि मानसून सत्र नए भवन में आरंभ होगा। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। कुछ तकनीकी अड़चन है और इसके कारण शीतकालीन सत्र से ही नए भवन में कार्यवाही शुरू हो पाने की संभावना है। लोकसभा के एक और वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सवाल उचित है। मानसून सत्र की शुरुआत सभी तैयारियों के साथ नए भवन से होनी चाहिए। लेकिन कुछ तैयारियां रह गई हैं। यह पूछने पर की फिर उद्घाटन का क्या अर्थ? सूत्र का कहना है कि यह सवाल नीति निर्धारकों से होना चाहिए।
संसदीय सुरक्षा से जुड़े एक अन्य अधिकारी के मुताबिक नए भवन में अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग किया गया है। पेपरलेस संसदीय कार्यवाही और इसके लिए संसद प्रशिक्षित नहीं है। इसलिए मानसून सत्र पुराने भवन से आरंभ होगा। सत्रावसान से पहले की कुछ कार्यवाही नए भवन से होगी।
गौरतलब है कि संसद के नए भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई 2023 को किया था। नए भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा किए जाने को विपक्ष ने मुद्दा बनाया था। विपक्ष ने सांसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने को मुद्दा बनाया था।