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Monday, May 20, 2024

पत्नी के साथ घूमने गए मेसी और PSG से हो गए सस्पेंड, जानें क्लब-फुटबॉलर के बीच क्यों हुआ विवाद

स्टार फुटबॉलर लियोनल मेसी और उनके क्लब पेरिस सेंट जर्मेन (PSG) के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, क्लब ने अर्जेंटीना के इस स्टार को दो हफ्तों के लिए सस्पेंड कर दिया है। उन पर बिना इजाजत सऊदी अरब की ट्रिप करने का आरोप है। जब तक निलंबन रहेगा, मेसी को ट्रेनिंग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके अलावा न ही वह खेल पाएंगे और उन्हें इस दौरान की सैलरी भी नहीं दी जाएगी। मेसी का इस सीजन पीएसजी के साथ कॉन्ट्रैक्ट भी समाप्त हो रहा है। ऐसे में इस सस्पेंशन ने उन कयासों को हवा दिया है कि मेसी पीएसजी को छोड़ सकते हैं। मेसी के साथ उनकी पत्नी एंटोनेला और बच्चे भी सऊदी अरब की ट्रिप पर हैं।

तत्काल प्रभाव से मेसी पर निलंबन लागू

फ्रांस के दिग्गज फुटबॉल पत्रकार फैब्रिजियो रोमानो ने इन रिपोर्ट्स का खुलासा किया। पहले यह रिपोर्ट आई थी कि मेसी पर कई दिनों के लिए प्रतिबंध लगाया जाएगा, जबकि फैब्रिजियो ने बताया कि उन्हें दो हफ्ते के लिए सस्पेंड किया जाएगा। फ्रैब्रिजियो के मुताबिक, यह निलंबन अभी से ही लागू है और अगले दो हफ्ते तक जारी रहेगा। उन्होंने लिखा- पेरिस सेंट-जर्मेन का निर्णय इस सप्ताह मेसी की सऊदी अरब की यात्रा के बाद लिया गया है, जिसे क्लब द्वारा अधिकृत नहीं किया गया था।

अगले दो हफ्ते तक नहीं खेल पाएंगे मेसी

फैब्रिजियो ने लिखा- मेसी का पक्ष अभी भी क्लब के अनौपचारिक निर्णय के बाद स्थिति स्पष्ट करने के लिए क्लब के आधिकारिक अपडेट का इंतजार कर रहा है। क्लब ने अभी तक कोई ऑफिशियल अपडेट नहीं दिया है। अगर इसी फैसले पर पीएसजी चलता है तो मेसी अगले दो सप्ताह तक नहीं खेल पाएंगे। अब सवाल यह उठता है कि यह पूरा मामला कहां से उठा और क्लब के स्टार होने के बावजूद क्यों मेसी को इतने कठोर निर्णय का शिकार होना पड़ा। आइए जानते हैं।

क्लब के हारने पर भी सऊदी अरब की ट्रिप पर गए मेसी

दरअसल, यह पूरा मामला पीएसजी के पिछले मुकाबले से शुरू हुआ। क्लब ने अपना पिछला मैच 30 अप्रैल को लोरिएंट के खिलाफ खेला था। उस मैच में पीएसजी को 3-1 से हार का सामना करना पड़ा था। टीम के नियम के मुताबिक, अगर पीएसजी वह मैच जीतता तो खिलाड़ियों को दो दिन की छुट्टी मिलती, लेकिन पीएसजी की टीम मैच हार गई। ऐसे में छुट्टी को कैंसिल कर दिया गया था। नियम के मुताबिक, इस स्थिति में मेसी को टीम के साथ ट्रेनिंग करना चाहिए था, लेकिन वह सऊदी अरब चले गए।

अल हिलाल से मिले ऑफर को भी बताई जा रही वजह

इतना ही मेसी को सऊदी के फुटबॉल क्लब अल हिलाल से मिले ऑफर को भी एक बड़ी वजह बताई जा रही है। मेसी इस सीजन के बाद फ्रांस के क्लब पेरिस सेंट जर्मेन (पीएसजी) को छोड़ने का मन बना रहे हैं। क्लब के साथ उनका करार इस साल जून में समाप्त हो जाएगा। पीएसजी ने मेसी के सामने नए कॉन्टैक्ट रखे हैं, लेकिन अर्जेंटीना के कप्तान ने उस पर साइन नहीं किया है। इसी बीच मेसी के पुराने क्लब बार्सिलोना ने उन्हें फिर से वापस बुलाने में दिलचस्पी दिखाई है। वहीं, सऊदी अरब के क्लब अल हिलाल ने रिकॉर्ड 3600 करोड़ रुपये की सैलरी ऑफर की है।

पीएसजी की टीम में दुनिया के कई बड़े खिलाड़ी हैं। मेसी के अलावा फ्रांस के कप्तान और युवा स्टार किलियन एम्बाप्पे, ब्राजील के दिग्गज नेमार जूनियर और स्पेन के पूर्व कप्तान सर्जियो रेमोस हैं। इसके बावजूद टीम लगातार दूसरे साल यूईएफए चैंपियंस लीग (UEFA Champions League) से बाहर हो गई।

मेसी क्यों छोड़ना चाहते हैं पीएसजी?
पीएसजी की टीम के खिलाड़ियों में तालमेल की कमी है। इससे मेसी निराश हैं। वहीं, मौजूदा कोच क्रिस्टॉफ गाल्टियर के टीम चयन और उनकी योजनाओं से वह खुश नहीं हैं। मेसी इन चीजों को दरकिनार कर भी पीएसजी के साथ आगे जुड़े रहना चाहते थे, लेकिन पिछले कुछ मैचों में होमग्राउंड पार्क डेस प्रिंसेस में घरेलू फैंस ने उनकी हूटिंग की थी। इससे वह काफी खफा हैं। सऊदी अरब के फुटबॉल क्लब अल-हिलाल हर साल मेसी को 400 मिलियन यूरो (करीब 3600 करोड़ रुपये) देने की बात की है। मेसी के ट्रिप को इससे भी जोड़कर देखा जा रहा है।

अगर मेसी अल हिलाल जाते हैं तो उनका यूरोपियन फुटबॉल में करियर लगभग समाप्त हो जाएगा। हालांकि, पत्रकार फैब्रिजियो रोमानो ने कहा है कि मेसी अभी यूरोप में ही खेलना चाहते हैं। वह 2024 में कोपा अमेरिका की तैयारी के लिए शीर्ष स्तर पर फुटबॉल खेलना चाहते हैं। ऐसे में उनका यूरोप के बाहर किसी क्लब के साथ करार करना मुश्किल है। मेसी के चिर-प्रतिद्वंद्वी पुर्तगाल के क्लब क्रिस्टियानो रोनाल्डो सऊदी अरब में खेलते हैं। उन्होंने पिछले साल के अंत में अल नस्र के साथ 200 मिलियन यूरो (211 मिलियन डॉलर) यानी 1751 करोड़ रुपये में करार किया था।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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