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Friday, May 3, 2024

नीतीश को मांझी का अनूठा सुझाव, मांझी बोले- एक क्वार्टर पीने की छूट दें, शराबबंदी का बिहार-गुजरात में समान हाल

अपने बयानों से चर्चित रहने वाले बिहार के पूर्व सीएम व हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने अब अनूठा सुझाव दिया है। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से कहा कि वे राज्य में पूर्ण शराबबंदी पर पुनर्विचार करें। मांझी ने क्वार्टर पीने वालों को नहीं पकड़ने की सलाह दी है। यह भी कहा कि शराबबंदी को लेकर बिहार व गुजरात में एक जैसा हाल है।

मांझी ने मंगलवार को दिल्ली में मीडिया से बातचीत में यह बात कही। उन्होंने बिहार में शराबबंदी को लेकर कहा कि वे शराबबंदी के पक्ष में हैं, लेकिन इसे सही ढंग से लागू किया जाना चाहिए। मौजूदा नीति का हाल यह है कि अवैध शराब पीने के आरोप में बड़ी संख्या में गरीब लोग जेलों में बंद हैं और शराब तस्कर आराम से घूम रहे हैं। गुजरात में भी यही हाल है।

बहरहाल, मांझी के इस सुझाव को लेकर जुबानी चटखारे लिए जा रहे हैं। मांझी ने कहा कि बिहार में शराबंबदी की वजह से जेलें भर गई हैं। नीतीश सरकार को शराबबंदी नीति की समीक्षा करनी चाहिए। शराब का एक क्वार्टर (पव्वा) शराब पीने वालों को नहीं पकड़ना चाहिए।

पूर्व सीएम मांझी ने बिहार में शराबबंदी कानून की समीक्षा की मांग करते हुए कहा कि पुलिस शराबियों की पहचान करने वाली ब्रिथ एनेलाइजर मशीन भी गलत बता देती हैं। राज्य की जेलों में अवैध शराब से जुड़े मामलों में 70 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो सिर्फ 500 एमएल (अध्धा) या 250 एमएल (पव्वा) पीते हुए पकड़े गए हैं। जो 125 या 250 एमएल (एक क्वार्टर) शराब पीते हैं, उन्हें जेलों में नहीं डाला जाना चाहिए।

नीतीश ने दिए शराब पीने वालों को नहीं, बेचने वालों को पकड़ने के निर्देश

मांझी का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जबकि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने दो दिन पहले ही शराबबंदी को लेकर समीक्षा बैठक की थी। उन्होंने निर्देश दिए कि वे शराब पीने वालों को पकड़ने के बजाय बेचने वालों व तस्करों को दबोचें। हालांकि, उन्होंने शराब पीने वालों को बख्शने की बात नहीं कही हैं, लेकिन उन पर शिकंजा कमजोर हो सकता है। इसके साथ ही नीतीश कुमार ने यह भी संकेत दिया कि वह शराबबंदी नीति में कोई ढील नहीं देने वाली है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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