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Saturday, May 18, 2024

मनीष सिसोदिया: स्कूल मनमर्जी से फीस नहीं बढ़ा सकते, जांच में फीस बढ़ोतरी पाए जानेे पर कार्रवाई की जाएगी।

स्कूलों में एक अप्रैल से नए सत्र की शुरुआत से ही फीस बढ़ोतरी की शिकायतें सामने आने लगी हैं। बीते एक सप्ताह से अभिभावक भी सड़कों पर उतर रहे हैं। अभिभावकों की शिकायत है कि स्कूल मनमानी फीस वसूल रहे हैं और उन्हें वार्षिक, विकास शुल्क व ट्यूशन फीस में छूट भी नहीं दी जा रही है। इस पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का कहना है कि स्कूल मनमर्जी से फीस नहीं बढ़ा सकते हैं। कोई स्कूल मनमर्जी से फीस बढ़ाता है तो उसके खिलाफ शिकायत मिलने पर जांच की जा रही है। जांच में फीस बढ़ोतरी पाए जानेे पर कार्रवाई की जाएगी।

सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार ने 2015 से ही स्कूलों में फीस नहीं बढ़ने दी। जहां लगा कि फीस ज्यादा है वहां ऑडिट भी कराया गया है। कुछ ही स्कूलों को दो से तीन फीस बढ़ाने की अनुमति पहले दी गई थी। उधर, सूत्र बताते हैं कि फीस बढ़ोतरी के आदेश का उल्लंघन करने के मामले में शिक्षा निदेशालय की ओर से कुछ स्कूलों को नोटिस भी भेजा गया है।

शिक्षा निदेशालय ने कोर्ट के दिशा-निर्देशानुसार जुलाई 2021 में कहा था कि स्कूल वार्षिक, विकास शुल्क व ट्यूशन फीस तीनों में 15 फीसदी की छूट प्रदान करें। यह 2020-21, व 2021-22 के लिए भी मानने के लिए कहा गया था। जबकि अभिभावकों का कहना है कि स्कूल इस निर्देश को नहीं मान रहे हैं। किसी न किसी मद में शुल्क बढ़ा दिया गया है। खासकर ट्यूशन फीस में छूट नहीं दी जा रही है और बकाया फीस को भी मांगा जा रहा है। परिवहन शुल्क को भी काफी बढ़ा दिया है। बीते सप्ताह ही डीपीएस रोहिणी, डीपीएस द्वारका, बाल भारती, सेंट थॉमस स्कूल के बाहर अभिभावक प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं।

दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम कहती हैं कि दिल्ली के 460 स्कूलों को ट्यूशन फीस, विकास व वार्षिक शुल्क 15 फीसदी की छूट के साथ लेने के लिए कहा गया था, लेकिन स्कूलों की ओर से यह छूट नहीं दी जा रही है। जिन स्कूलों को मंजूरी नहीं मिली थी वह भी फीस बढ़ाकर मांग रहे हैं। फीस बढ़ोतरी की शिकायतें दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग व शिक्षा निदेशालय को भी भेजी गई हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

अर्फोेडेबल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्य छाबडिया कहते हैं कि वार्षिक व विकास शुल्क में 15 फीसदी की छूट लॉकडाउन पीरियड के लिए थी। उसके बाद से कोई आदेश नहीं आया है। ऐसे में फीस में कुछ बढ़ोतरी करना स्कूलों की मजबूरी भी है। दो साल बाद स्कूल खुले हैं, जिसके रख-रखाव के लिए भी पैसे की जरूरत होती है। महंगाई भी बढ़ गई है, नए स्टॉफ की भर्ती व स्कूल के संसाधन भी बढ़ाने हैं। इसके लिए फीस बढ़ानी ही पड़ेगी।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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