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Saturday, May 18, 2024

मणिपुर हिंसा- विपक्ष का अविश्वसनीय प्रस्ताव पर पीएम मोदी सांसद में देंगे जवाब

मणिपुर हिंसा को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष, आमने-सामने हैं। लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस स्वीकार कर लिया है। अगले सप्ताह पीएम मोदी इस मुद्दे पर सदन में बोल सकते हैं। अंदर खाते इसकी तैयारी भी शुरु हो गई है। मणिपुर हिंसा का मुद्दा, जिस पर संसद में लगातार गतिरोध जारी है, वह प्रधानमंत्री मोदी के लिए ‘हरक्यूलिस’ टास्क है। यानी वो कठिन कार्य, जिसके लिए अथक प्रयास या ताकत लगानी होती है। 

केंद्र सरकार का प्रयास है कि संसद में पीएम मोदी के बोलने से पहले ‘मणिपुर’ शांत हो जाए। हिंसा ग्रस्त इलाकों में तैनात सेना, अर्धसैनिक बलों और लोकल पुलिस के एक लाख से अधिक जवानों को ‘बफर’ जोन तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। मतलब, कुकी और मैतेई, दोनों समुदाय के एक दूसरे के क्षेत्रों में आकर कोई वारदात न करें। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अब एक ही दिन में मणिपुर सरकार के साथ कई बार बातचीत की जा रही है। पुलिस थानों से लूटे गए लगभग तीन हजार घातक हथियार और ढाई लाख कारतूसों की बरामदगी के लिए सर्च आपरेशन शुरु किया गया है। संभव है कि कुकी और मैतेई समुदाय के कुछ प्रतिनिधियों को दिल्ली बुलाया जाए। 

संसद में पीएम बोलें, विपक्ष इसे मान रहा अपनी जीत
विपक्ष को मालूम है कि अविश्वास प्रस्ताव पर उसकी हार तय है। वजह, लोकसभा में विपक्ष के पास पर्याप्त बहुमत नहीं है। इसके बावजूद विपक्षी दल, हार में अपनी जीत देख रहे हैं। अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले कांग्रेस पार्टी के सांसद गौरव गोगोई कहते हैं, देखिये, ये हार जीत का सवाल नहीं है। यह विपक्ष का संवैधानिक दायित्व है। ये इंसाफ की लड़ाई है। विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडिया’ चाहता है कि लोकतंत्र जीवित रहे। 

दूसरी तरफ भी भाजपा भी विपक्षी दलों के हाथ ऐसी कोई कमजोर कड़ी नहीं देना चाहती, जिससे उन्हें फायदा पहुंचे। यही वजह है कि अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस स्वीकार होने के बाद केंद्र सरकार, अतिरिक्त सतर्क दिखाई पड़ रही है। मणिपुर में तैनात सीएपीएफ के एक बड़े अधिकारी के मुताबिक, अब केंद्रीय गृह मंत्रालय को हर छोटी बड़ी घटना का इनपुट दिया जा रहा है। सिक्योरिटी फोर्स के तैनाती पैटर्न को बदला जा रहा है। मणिपुर में मैतेई महिलाओं का संगठन ‘मैरा पाइबी’ की गतिविधियों के मद्देनजर, केंद्रीय बलों में महिला जवानों की संख्या बढ़ाई गई है। लोकल फोर्स के साथ सीएपीएफ या सेना का दस्ता रहेगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी सूरत में सुरक्षा बलों का रास्ता बाधित न हो। 

बफरजोन तैयार करना एक बड़ी चुनौती
केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मणिपुर में बफरजोन तैयार करना आसान नहीं है। हालांकि इसके लिए प्रयास शुरु हो गए हैं। इसी के चलते वहां पर अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजे गए हैं। एक लाख से ज्यादा जवान, बफरजोन तैयार करने में मदद करेंगे। इसके तहत कुकी और मैतेई बाहुल्य क्षेत्रों में ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि वे कुछ समय तक एक दूसरे के इलाके में न घुसें। 

मणिपुर सरकार के सलाहकार कुलदीप सिंह और डीजीपी राजीव सिंह की देखरेख में सोशल मीडिया पर निगरानी रखने के लिए तकनीकी जानकारों की एक टीम दिन-रात काम कर रही है। इंटरनेट से पाबंदी हटने के बाद वहां पर रेप और महिलाओं की नग्न परेड जैसे विचलित करने वाले वीडियो सामने आए थे। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। मैतेई और कुकी, इस मामले में एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। 

कुकी समुदाय का आरोप है कि मैरा पाइबी संगठन मैतेई पुरुषों को अपराध करने के लिए उकसाता है। वही सुरक्षा बलों का रास्ता रोकता है। हथियारबंद लोगों को सुरक्षा बलों की पकड़ से छुड़ा लेता है। दूसरी ओर, मैतेई समुदाय के भी ऐसे ही आरोप हैं। तीन और चार मई को जब हिंसा जोर पकड़ने लगी तो वहां पर सोशल मीडिया में फेक न्यूज फैलाई गई। उससे हिंसा और ज्यादा भड़क उठी थी।

शांति के लिए इन तरीकों पर हो रहा विचार
सामाजिक कार्यकर्ता बीनालक्ष्मी नेप्रम के मुताबिक, दोनों पक्षों में चोट खाने वाले लोग ‘इन्सान’ हैं। दुनिया में कई जगहों पर ऐसे संघर्ष देखने को मिले हैं। उनके बीच भी एक टेबल पर बातचीत होती है। भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में भी ऐसा संभव है। मणिपुर में दोबारा से शांति वार्ता शुरु हो सकती है। इसमें सभी पक्षों को शामिल किया जाए। प्रधानमंत्री या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार, इसका खाका तैयार कर सकते हैं। 

दोनों पक्षों की अपनी शिकायत है। एक राज्य में अलग प्रशासनिक व्यवस्था पर सोचा जा सकता है। सरकार का पहला काम, वहां पर शांति बहाल करना है। मणिपुर घाटी और हिल एरिया के मध्य बफर जोन तैयार करने के लिए पीएमओ द्वारा गृह मंत्रालय के साथ विस्तृत बातचीत की गई है। मणिपुर से लगते म्यांमार बॉर्डर पर जल्द से जल्द कंटीली तार लगाने का काम शुरु किया जा रहा है। बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा बलों की फोरमेशन में बदलाव हो सकता है। मणिपुर में बफर जोन स्थापित करने के लिए हिंसा ग्रस्त इलाकों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम लागू करने पर विचार हो सकता है। 19 जगहों से हटाए गए इस एक्ट की समीक्षा की जाएगी। 

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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