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Saturday, February 15, 2025

महाकुंभ 2025: आस्था के संगम में कारोबार का अनूठा संगम

महाकुम्भ नगर, 13 जनवरी 2025, सोमवार। महाकुम्भ 2025 में भारत समेत पूरी दुनिया के लोग संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। इस महाकुम्भ में अनेकता में एकता के साथ-साथ कारोबार और परोपकार का अनूठा संगम भी देखने को मिल रहा है। महाकुम्भ के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर एक तरफ, जहां अखाड़ों और विभिन्न संस्थाओं के द्वारा लोगों को निशुल्क चाय वितरण, नाश्ता और भोजन कराया जा रहा है तो वहीं, व्यापार भी फल फूल रहा है। मेला प्रशासन द्वारा अलॉट स्टॉल्स के साथ-साथ बड़ी संख्या में ठेले रेहड़ी वालों के लिए भी यह आय का साधन बन गया है। ये ठेले रेहड़ी वाले प्रयागराज के साथ-साथ प्रदेश भर से यहां पहुंच रहे हैं। इनमें कोई चाय बेच रहा है, तो कोई खाने का अन्य सामान। इसके साथ ही पूजा के सामानों और श्रंगार के सामानों की भी खूब बिक्री हो रही है।
व्यापार को मिल रही मजबूती

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में प्रयागराज विजिट के दौरान कहा था कि यह महाकुम्भ प्रयागराज के साथ ही पूरे प्रदेश की इकॉनमी को मजबूती देने वाला होगा। इसके माध्यम से इकॉनमी में दो लाख करोड़ रुपए की वृद्धि संभावित है। महाकुम्भ के पहले ही दिन भारी संख्या में श्रद्धालु संस्थाओं के भंडारों के साथ-साथ इन दुकानदारों पर भी खरीदारी करते रहे। खान-पान से लेकर पूजा सामग्री की सबसे ज्यादा खरीद हुई। खाने पीने का सामान बेचने वाले हरदोई के रामकुमार ने बताया कि दो हफ्ते पहले ही महाकुम्भ में आए हैं। यहां श्रद्धालुओं का पेट भरने के साथ ही पुण्य कमाने का भी अवसर है। किसी तरह का कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लिया जा रहा है। कोई हमें यहां परेशान भी नहीं कर रहा। इसी तरह, भदोही से आए सुनील यहां लोगों को चाय पिला रहे हैं। सुनील ने बताया कि 45 दिन तक महाकुम्भ में आय के लिए आए हैं। पहले दिन श्रद्धालुओं को सर्दी में चाय वितरित कर रहे हैं। किसी तरह की एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लिया जा रहा।

भंडारों में बंट रहा प्रसाद
एक तरफ, व्यापार है तो दूसरी तरफ परोपकार भी है। पहले ही दिन बड़ी संख्या में मेला क्षेत्र में विभिन्न संस्थाओं द्वारा भंडारों और चाय वितरण किया गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को बुला बुलाकर भोजन कराया गया। कोई संस्था खिचड़ी खिला रही है तो कोई पूड़ी सब्जी। वहीं चाय पिलाने वालों की भी कोई कमी नहीं। सतुआ बाबा समेत कई साधु संतों ने अपने शिविरों में श्रद्धालुओं के रुकने की भी व्यवस्था की है और यहां भी भंडारे का आयोजन किया गया है।

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