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Saturday, May 4, 2024

स्थानीय चुनाव नतीजों से पता चला देश का मूड, इमरान खान के बुरे दिन शुरू

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा प्रांत के स्थानीय चुनावों में हुई करारी हार ने प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी को हिला दिया है। ये प्रांत पीटीआई का गढ़ समझा जाता रहा है। सियासत में इमरान खान के सितारे इसी प्रांत में जीत के साथ चढ़ने शुरू हुए थे। अब वहीं पीटीआई को पांव के नीचे से जमीन खिसकती नजर आई है।

हाल के झटकों से परेशान इमरान खान ने मंगलवार सुबह एक ट्वीट में यह स्वीकार किया कि उनकी पार्टी ने गलतियां कीं। उसकी वजह से उसे स्थानीय चुनाव के पहले चरण में हार का मुंह देखना पड़ा है। खान ने कहा कि उनकी पार्टी को गलत उम्मीदवार चुनने की कीमत भी चुकानी पड़ी है। इमरान खान ने कहा कि अब वे दूसरे चरण के चुनाव की खुद निगरानी करेंगे।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि खुद को स्थानीय चुनाव से जोड़ कर एक बड़ा जोखिम मोल लिया है। अगले चरण के नतीजे भी सोमवार को आए नतीजों जैसै ही रहे, तो उसका प्रधानमंत्री की छवि पर बहुत खराब असर पड़ेगा। खैबर पख्तूनवा प्रांत के पहले चरण के चुनाव में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) को शानदार जीत मिली है। वह पेशावर शहर के मेयर पद के चुनाव में भी विजयी रही, जिसे प्रतिष्ठा की लड़ाई बताया गया था।

पाकिस्तानी मीडिया में छपे विश्लेषणों के मुताबिक पीटीआई को ज्यादातर सीटों पर विपक्षी उम्मीदवारों से पराजित होना पड़ा। पेशावर के मेयर पद के चुनाव में उसका उम्मीदवार जेयूआई-एफ के प्रत्याशी से साढ़े 11 हजार वोटों के भारी अंतर से पराजित हुआ। खैबर पख्तूनवा में 63 तहसील में चुनाव हुए हैं। इनमें से 39 नतीजों का एलान होने तक सबसे ज्यादा सीटों पर जेयूआई-एफ के उम्मीदवार जीते।

इसके अलावा कैंटोनमेंट बोर्ड के चुनावों में भी पीटीआई की हार हुई है। इससे पार्टी नेतृत्व सकते में है। एक पाकिस्तानी अखबार में छपी खबर के मुताबिक चुनाव नतीजे आते ही रावलपिंडी में पीटीआई के मुख्यालय में वीरानी छा गई। इन चुनावों में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज को को अच्छी कामयाबी मिली है।

अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक अगले चरणों के चुनावों में भी पीटीआई को ज्यादा कामयाबी मिलन की संभावना नहीं है। उसने ये आकलन खुद पीटीआई के पदाधिकारियों के हवाले से छापा है। उन पदाधिकारियों ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर अखबार से कहा कि पीटीआई अंदरूनी कलह की शिकार है। पार्टी नेतृत्व ने चुनाव से पहले कई पदाधिकारियों को हटा दिया। इसका खामियाजा अब उसे भुगतना पड़ा है। उन्होंने कहा कि जब तक ये हालात कायम रहते हैं, पार्टी की चुनावी संभावनाएं बेहतर नहीं होंगी।

जबकि पर्यवेक्षकों की राय है कि पीटीआई को देश में महंगाई और गैस की पैदा हुई किल्लत की कीमत चुकानी पड़ी है। उनके मुताबिक महंगाई से देश में आम लोग परेशान हैं। ऐसे में पीटीआई पूरे देश में कहीं भी बेहतर नतीजों की उम्मीद नहीं कर सकती। जानकारों का कहना है कि देश की माली हालत इतनी बिगड़ी हुई है कि महंगाई या गैस किल्लत को दूर करने के लिए इमरान खान सरकार चाह कर भी कुछ कर सकने की स्थिति में नहीं है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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