नवनिर्मित राममंदिर में विराजे बालक राम की नित्य पूजा विशेष संहिता के अनुसार होती है। रामोपासना नाम की यह संहिता पौराणिक पूजा पद्धति व ग्रंथों के अध्ययन के बाद तैयार की गई है। रामलला की दिनचर्या इन दिनों सुबह 4:30 बजे से रात 10 बजे तक की है।
रामलला को अर्चक सुबह 4:30 बजे उसी तरह जगाते हैं, जैसे माता कौशल्या जगाती थीं। रामलला और गुरुओं की आज्ञा लेकर ही अर्चक गर्भगृह में प्रवेश करते हैं। इसके बाद जय-जयकार करते हैं। बालक राम का बिस्तर ठीक किया जाता है। उन्हें मंजन कराया जाता है।
राजकीय पद्धति से स्नान कराया जाता है। रामलला को वस्त्र पहनाकर मुकुट धारण कराया जाता है। वह राजकुमार हैं। इसलिए खुले सिर किसी के सामने नहीं जाते। इसके बाद उन्हें उनकी रुचि के अनुसार फल, रबड़ी, मालपुआ, मक्खन, मिश्री, मलाई आदि का भोग लगता है। रामलला को खीर बहुत पसंद है। इसके बाद मंगला आरती होती है