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Saturday, May 18, 2024

कृष्णा पूनिया पहलवानों के समर्थन में उतरी।

भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) पर देश के पहलवानों ने उत्पीड़न का आरोप लगाया है। डब्ल्यूएफआई पर अपने मनमाने नियम पहलवानों पर थोपने का आरोप है। भारत की झोली में मेडल डालकर देशवासियों को गौरव का अनुभव कराने वाले देश के नामचीन पहलवानों ने इसका विरोध जताते हुए दिल्ली के जंतर-मंतर पर डब्ल्यूएफआई के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। दिल्ली में धरनारत इन पहलवानों के समर्थन में अब कृष्णा पूनिया भी उतर आईं हैं। उन्होंने इस मामले की निंदा करते हुए जयपुर में धरना शुरू कर दिया है।

अमर जवान ज्योति स्थल पर शुरू किया धरनामहिला पहलवानों के समर्थन उतरीं राज्य क्रीड़ा परिषद की अध्यक्ष और कांग्रेस नेता कृष्णा पूनिया जयपुर के अमर जवान ज्योति स्थल पर धरने पर बैठ गईं हैं। पूनिया ने कहा महिला खिलाड़ियों का इस तरह से शोषण करना बहुत ही शर्मनाक है। मैं पहलवानों के साथ हूं और उनका समर्थन करतीं हूं। साथ ही डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के इस्तीफे की मांग करती हूं।

पहलवानों की पीड़ा में देश को एक जुट होना चाहिएउन्होंने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि एक तरफ से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया जाता है और दूसरी तरफ बेटियों की इज्जत को तार-तार किया जा रहा है। यह बहुत शर्मनाक है। आज जब देश के एथलीट ओलंपिक, एशियन गेम या कॉमनवेल्थ में जाते हैं तो सबको मेडल की चाह होती है। देश और आज यह खिलाड़ी अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं। बता रहे कि शोषण किया जा रहा है तो देश को भी इनके साथ खड़े होना चाहिए। पहलवानों ने बहुत बड़ी लड़ाई लड़ी है और उनको न्याय मिलना चाहिए, यह उनका हक है।देशभर से मिल रहा पहलवानों को समर्थनखिलाड़ियों के इस विरोध प्रदर्शन को कई लोगों का समर्थन मिल रहा है। पहलवानों के इस प्रदर्शन को विपक्ष तो समर्थन कर ही रहा है। वहीं, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी सरकार से इस मसले पर पहलवानों को न्याय दिलाने की मांग की है। राकेश टिकैत ने ट्वीट कर लिखा, “पूरे विश्व में देश का सिर गर्व से ऊंचा करने वाले पहलवानों को धरने पर बैठना पड़ रहा है। भारतीय कुश्ती महासंघ के अधिकारियों पर लगे आरोप बहुत गंभीर है। भारत सरकार मामले का संज्ञान ले और गांव की मिट्टी से जुड़े खेल और खिलाड़ियों को न्याय दिलाने का काम करे।”

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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