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Thursday, May 2, 2024

कोविड के बाद गरीबों ने ज्यादा GST चुकाया, पर अरबपतियों की संपत्ति हर दिन ₹3608 करोड़ बढ़ती रही

भारत के सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है, वहीं दूसरी ओर देश की आधी आबादी देश की कुल संपत्ति के महज 3 प्रतिशत में अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार नवंबर 2022 में महामारी शुरू होने के बाद से भारत में अरबपतियों की संपत्ति में वास्तविक रूप से 121 प्रतिशत या हर दिन 3,608 करोड़ रुपये की वृद्धि देखी गई है। हालांकि जीएसटी चुकाने के मामले में भार आम आदमी पर अधिक पड़ा।

विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक के पहले दिन मानवाधिकार समूह ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने वार्षिक असमानता रिपोर्ट का भारत सप्लीमेंट जारी किया। इस उसने कहा है कि भारत के 10 सबसे अमीर लोगों पर पांच प्रतिशत कर लगाने से बच्चों को स्कूल वापस लाने के अभियान के लिए लिए पूरा पैसा जुटाया जा सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सिर्फ एक अरबपति गौतम अडाणी पर 2017-2021 के दौरान अवास्तविक लाभ पर एकमुश्त कर से 1.79 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा सकते थे। यह राशि एक साल के लिए 50 लाख से अधिक भारतीय प्राथमिक विद्यालय शिक्षकों को रोजगार देने के लिए पर्याप्त हैं।’

सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अगर भारत के अरबपतियों पर उनकी पूरी संपत्ति पर दो प्रतिशत की दर से एक बार कर लगाया जाता है तो इससे देश में कुपोषित लोगों के पोषण के लिए अगले तीन साल तक 40,423 करोड़ रुपये की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा। इसमें कहा गया है, ”देश के 10 सबसे अमीर अरबपतियों (1.37 लाख करोड़ रुपये) पर पांच प्रतिशत का एकमुश्त कर स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय (86,200 करोड़ रुपये) और आयुष मंत्रालय (3,050 करोड़ रुपये) की ओर से वर्ष 2022-23 के लिए अनुमानित धन के 1.5 गुना से अधिक है।

लैंगिक असमानता पर रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला श्रमिकों को एक पुरुष श्रमिक को हासिल प्रत्येक 1 रुपये के लिए केवल 63 पैसे मिलते हैं। अनुसूचित जातियों और ग्रामीण श्रमिकों के लिए, अंतर और भी अधिक है- अनुसूचित जातियों ने सामाजिक समूहों की कमाई का 55 प्रतिशत कमाया, और बाद में 2018 और 2019 के बीच शहरी कमाई का केवल आधा हिस्सा उनके पास गया।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘शीर्ष 100 भारतीय अरबपतियों पर 2.5 प्रतिशत कर लगाने या शीर्ष 10 भारतीय अरबपतियों पर पांच प्रतिशत कर लगाने से बच्चों को स्कूल वापस लाने के लिए आवश्यक लगभग पूरी राशि इकट्ठा हो जाएगी।

ऑक्सफैम ने कहा कि यह रिपोर्ट भारत में असमानता के प्रभाव का पता लगाने के लिए गुणात्मक और मात्रात्मक जानकारी का मिश्रण है। फोर्ब्स और क्रेडिट सुइस जैसे द्वितीयक स्रोतों का उपयोग देश में धन असमानता और अरबपति धन को देखने के लिए किया गया है, जबकि एनएसएस, केंद्रीय बजट दस्तावेजों, संसदीय प्रश्नों आदि जैसे सरकारी स्रोतों का उपयोग रिपोर्ट के माध्यम से किए गए तर्कों की पुष्टि के लिए किया गया है।

ऑक्सफैम ने कहा कि नवंबर 2022 में महामारी शुरू होने के बाद से भारत में अरबपतियों की संपत्ति में वास्तविक रूप से 121 प्रतिशत या हर दिन 3,608 करोड़ रुपये की वृद्धि देखी गई है।दूसरी ओर, वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) में कुल 14.83 लाख करोड़ रुपये का लगभग 64 प्रतिशत 2021-22 में नीचे की 50 प्रतिशत आबादी से आया जिसमें शीर्ष 10 प्रतिशत से केवल 3 प्रतिशत जीएसटी आया।

ऑक्सफैम ने कहा कि भारत में अरबपतियों की कुल संख्या 2020 में 102 से बढ़कर 2022 में 166 हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की संयुक्त संपत्ति 660 अरब डॉलर (54.12 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गई है। ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा, ‘देश के हाशिए पर पड़े दलित, आदिवासी, मुस्लिम, महिलाएं और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक एक ऐसी प्रणाली में पीड़ित के रूप में फंसे हुए हैं जिसमें केवल अमीरों का हित हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘गरीब लोग अधिक कर का भुगतान कर रहे हैं, अमीरों की तुलना में आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर अधिक खर्च कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि अमीरों पर कर लगाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि वे अपने उचित हिस्से का भुगतान करें।

बेहर ने केंद्रीय वित्त मंत्री से संपत्ति कर और विरासत कर जैसे प्रगतिशील कर उपायों को लागू करने का आग्रह किया, जो उन्होंने कहा कि असमानता से निपटने में ऐतिहासिक रूप से प्रभावी साबित हुए हैं।

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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