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Saturday, May 18, 2024

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की उम्मीदे टूटी, लालू के इसारे का अब क्या होगा

पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को भी कांग्रेस के नंबर वन नेता राहुल गांधी को लेकर कोर्ट के आए ताजा फैसले ने सोचने के लिए मजूबर किया होगा। 23 जून को जब राहुल गांधी पटना आए थे और लालू प्रसाद ने उनकी शादी की बात कही तो राजनीतिक विश्लेषकों ने उन्हें इशारों में विपक्षी एकता के ‘दूल्हे’ के रूप में सजाने तक की बात मान ली। कहा गया कि लालू इशारे में भी बहुत गूढ़ बातें कह जाते हैं। तो, क्या अब विपक्षी एकता के ‘दूल्हे’ का यह विकल्प यहीं खत्म हो गया? 17-18 जून को बेंगलुरू में होने वाली विपक्षी एकता की बैठक में दूसरा ‘दूल्हा’ तय होगा?

संयोजक घोषित नहीं, मगर नाम तो यही
12 जून की तारीख फेल होने के बाद भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब 23 जून को पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ देशभर के 15 दलों के नेताओं को बैठक में बुलाने में सफल रहे तो उनका संयोजक बनना तय था। लेकिन, अध्यादेश को लेकर कांग्रेस से टकराव के कारण जिस तरह से विपक्षी एकता की बैठक के बाद मीडिया से मुखातिब होने के काफी पहले आम आदमी पार्टी के दोनों नेता (दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान) निकल गए, उसके कारण सारी घोषणाएं टाल दी गईं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संयाेजन में बैठक की बात कही। बाकी नेताओं ने इस शब्द का इस्तेमाल भले नहीं किया, लेकिन बैठक का अगुवा कहते हुए बधाई जरूर दी। संयोजन-संयोजक की बात के बाद जब लालू प्रसाद मीडिया के सामने आए तो उन्होंने राहुल गांधी को जल्दी दूल्हा बनने के लिए कहा। इसपर हंसी तो हुई, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों ने इस बात को शादी से मोड़ते हुए विपक्षी एकता के दूल्हे (लीडर) की ओर मोड़ दिया।

राहुल को भावी पीएम बताया गया था
राहुल गांधी पटना आए तो विपक्षी एकता की बैठक के पहले सदाकत आश्रम में कांग्रेसियों से मिले, उन्हें संबोधित भी किया। इस कार्यक्रम में उस महिला विधायक ने भी शिरकत की थी, जिन्होंने बिहार विधानसभा के सामने और वीरचंद पटेल पथ पर होर्डिंग-बैनर के जरिए राहुल गांधी को भावी पीएम बताया था। सांसदी खो चुके राहुल के अलावा अरविंद केजरीवाल को भी पीएम बताने वाले पोस्टर लगाए गए थे। 

अगर लालू का इशारा वह था तो अब क्या
राहुल गांधी की सांसदी जा चुकी है। शुक्रवार को आए फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प तो है, लेकिन शुक्रवार के फैसले के बाद राजनीतिक गलियारे में भी यह मान लिया गया है कि 2024 में उनके नाम पर विचार का विकल्प नहीं रहेगा। अगर लालू ने यह सोचकर किया हो तो ऐसे में वह इशारा अब किसी काम का नहीं। चाणक्या इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिकल राइट्स एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा कहते हैं- “18-19 जुलाई की बैठक कांग्रेस के संयोजकत्व में हो रही है और यह बैठक अगर सफल रही तो संयोजक का नाम, राज्यों में प्रभाव के आधार पर सीटों के बंटवारे और नए गठबंधन का नाम घोषित किया जाएगा। विपक्षी एकता के दूल्हे का नाम तय नहीं होगा, यह भी तय है। संयोजक पहले तो ‘दूल्हा’ नहीं रहे हैं, इसलिए इस बार भी पहले से घोषित कुछ नहीं होगा।”

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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