अगस्त में रिटायर होने वाले थे लेकिन कहा है कि पांच मार्च को वे अपना इस्तीफा राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट और कोलकाता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को भेज देंगे।
जस्टिस गांगुली ने कांग्रेस, सीपीएम और भाजपा तीनों का नाम लेकर इशारा किया है, किसी एक नाम पर स्पष्टता से कुछ नहीं कहा है। अगर जस्टिस गांगुली इन तीनों दलों में से किसी भी एक से चुनाव लड़ते हैं तब फिर उनके उन फैसलों की क्या विश्वसनीयता रह जाएगी?
क्या उन्हें राजनैतिक नज़र से नहीं देखा जाएगा? जस्टिस अभिजीत गांगुली के आदेशों को लेकर बीजेपी, कांग्रेस और सीपीएम तीनों ने ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधा है। उनके कई फैसलों से बंगाल में राजनैतिक मुद्दा गरमाया है। ममता बनर्जी की सरकार को घेरा गया है। क्या उनके इस फ़ैसले से न्यायपालिका की छवि खराब नहीं होती है?