इसकी कहानी शुरू होती है 1911 से जब ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली शिफ्ट करने का ऐलान किया।
संसद भवन बनाने का जिम्मा मिला ब्रिटेन के दो मशहूर आर्किटेक्ट एडविन लुटियन और हर्बर्ट बेकर को।
12 फरवरी 1921 को इसकी नींव रखी गयी और 6 साल बाद 1927 में 83 लाख की लागत से बनकर यह तैयार हुई।
18 फरवरी 1927 को लॉर्ड इरविन ने इसका उद्घाटन किया।
धमाकों की आवाज :
कौंसिल हाउस के उद्घाटन के 2 साल बाद 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली के प्रेसिडेंट (आज के लोकसभा स्पीकर) ने ट्रेड बिल जैसे ही पारित किया एक तेज धमाका हुआ , तब दोपहर के 12:30 बजे थे।
ये बम भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने फेंके थे।
उस वक्त सदन में मदन मोहन मालवीय , मोहम्मद अली जिन्ना , मोतीलाल नेहरू , लाला लाजपत राय , सरदार पटेल आदि बैठे थे।
14 अगस्त 1947 की रात 11 बजे संसद भवन में संविधान सभा का विशेष सत्र बुलाया गया। इसकी अध्यक्षता राजेन्द्र प्रसाद कर रहे थे। यहां जवाहरलाल नेहरु ने ऐतिहासिक भाषण दिया।
एक वक्त का खाना :
1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच जंग चल रही थी। इसी समय अमरीकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने लाल बहादुर शास्त्री को धमकी दी कि अगर युद्ध बंद नहीं किया तो हम आपको लाल गेंहू भेजना बंद कर देंगे।
शास्त्री ने इसी संसद भवन से एक हफ्ते में एक वक्त का भोजन न करने का ऐलान किया था।
1971 में लोकसभा में इंदिरा गांधी ने ऐलान किया था कि बांग्लादेश में पाकिस्तानी सैनिकों ने हमारे सामने बिना शर्त सरेंडर कर दिया है।1975 की इमरजेंसी : इमरजेंसी लगाए जाने के बाद लोकसभा का सत्र बुलाया गया। 21 जुलाई
1975 को डिप्टी होम मिनिस्टर एफ एम मोहसिन ने राष्ट्रपति द्वारा लगाई गई इमरजेंसी की घोषणा की।
31 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी ने इसी संसद भवन में ऐतिहासिक भाषण दिया था। उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। उन्होंने संख्या बल कम होने की बात कही और अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंप दिया।
22 जुलाई 1974 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संसद में बताया कि भारत ने पोखरण में पीसफुल न्यूक्लियर एक्सपेरिमेंट कर लिया है।
24 साल बाद 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में भारत के परमाणु हथियारों से लैस देश बनने का ऐलान किया।
संसद पर हमला :
13 दिसंबर 2001 को संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था , तभी 11:30 पर 5 आतंकियों ने फायरिंग करनी शुरू कर दी। शाम तक सभी 5 आतंकवादियों को मार गिराया गया। इस हमले में दिल्ली पुलिस के 5 जवान , CRPF की एक महिला सुरक्षाकर्मी , राज्यसभा सचिवालय के दो कर्मचारी और एक माली की मौत हुई। हमले के वक्त संसद के अंदर देश के गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी और प्रमोद महाजन जैसे दिग्गज मौजूद थे। हमले से थोड़ी देर पहले ही PM वाजपेयी सदन से निकले थे।
इसी संसद में उत्तराखंड , सिक्किम , नागालैंड , मणिपुर , मिज़ोरम , झारखंड , छत्तीसगढ़ जैसे राज्य बने।
इसी संसद में आधी रात को संसद की बैठक बुलाई गई और “एक देश – एक टैक्स” सिस्टम और GST लागू किया गया।अनुच्छेद 370 और 35-ए को इसी संसद से निरस्त किया गया।
कुछ अन्य तथ्य :
1956 में लोकसभा की 151 बैठकें हुई थी , ये इतिहास में सबसे ज्यादा है।
सबसे कम 33 बैठकें 2020 में हुई।
पहली लोकसभा में 35 साल या उससे कम उम्र के सांसदों की संख्या 81 थी , जो लोकसभा में घटकर महज 21 रह गयी है। यानि 70 सालों में युवा सांसद घटे हैं।
1951 के चुनाव में 53 पार्टियों ने हिस्सा लिया था जबकि 2019 के चुनाव में 673 पार्टियां शामिल हुई। 7 दशक में पार्टियों की संख्या 12 गुना बढ़ी है।