ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शनों ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी थी। इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान सैकड़ों लोगों की मौत हुई, जिनमें कई को मौत की सजा सुनाई गई और हजारों लोगों को जेल में डाल दिया गया। हालांकि इन देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बावजूद ईरान की सरकार के हिजाब को लेकर रुख में कोई बदलाव नहीं आया है और ईरान सरकार ने फिर से नैतिक पुलिसिंग शुरू कर दी है।
गश्त ए एर्शाद पुलिस करेगी पेट्रोलिंग
ईरानी कानून के मुताबिक, जो कि शरिया कानून पर आधारित है, उसमें महिलाओं को अपना सिर बुर्के से ढकना होता है और एक लंबा और ढीला-ढाला कपड़ा पहनना होता है, जिसे हिजाब कहते हैं। महिलाएं इन नियमों का पालन करें और कानून के मुताबिक कपड़े पहनें, इसके लिए ईरान में एक बल का गठन किया गया है, जिसे गश्त ए एर्शाद कहते हैं। इस बल ने साल 2006 में पहली बार नैतिक पुलिसिंग की शुरुआत की थी।
करीब 10 महीने पहले ईरान में महसा अमीनी नामक एक महिला को इसी नैतिक पुलिस ने हिजाब ना पहनने के चलते गिरफ्तार किया था और बाद में हिरासत में उसकी मौत हो गई थी। आरोप लगा कि हिरासत में महसा अमीनी को बुरी तरह पीटा गया, जिससे उसकी जान गई। इसके चलते ईरान में सरकार के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। विरोध प्रदर्शनों के चलते ईरान की सरकार ने गश्त ए एर्शाद की पेट्रोलिंग पर रोक लगा दी थी। अब विरोध प्रदर्शनों के 10 महीनों बाद फिर से इसे शुरू कर दिया गया है।
कैसे काम करता है गश्त ए एर्शाद
यह बल के जवान पैदल या वाहनों में देश के अलग-अलग इलाकों में गश्त करते हैं। इस दौरान उन्हें यदि कोई महिला हिजाब ना पहने या गलत कपड़ों में दिखाई दे तो इस बल के जवान उस महिला को पहले चेतावनी देते हैं। अगर महिला इसके बावजूद कानून का पालन नहीं करती है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है। इन बलों को ईरान की सरकार ने हथियारों से लैस किया है और इनके डिटेंशन सेंटर भी हैं, जहां गिरफ्तारी के बाद महिलाओं को उन डिटेंशन सेंटर्स में रखा जाता है और उन्हें हिजाब समेत सभी शरिया कानून का पालन करने की ‘शिक्षा’ दी जाती है।