भारतीय वैज्ञानिकों को इन्सान व जानवरों के बीच टीबी संक्रमण के प्रसार को लेकर अहम सबूत मिले हैं। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और तमिलनाडु के राष्ट्रीय क्षय रोग अनुसंधान संस्थान (एनआईआरटी) के शोधकर्ताओं ने टीबी प्रसार में रिवर्स जूनोसिस यानी मानव से पशु और पशु से मानव में संक्रमण पहुंचने के साक्ष्यों की पुष्टि की है
एनआईआरटी के डॉ. एस श्रीराम ने कहा कि टीबी रोगियों से एरोसोल पैदा होते हैं जिनके माध्यम से इसका संचरण होता है। टीबी रोगी जब खांसते या छींकते हैं तो बहुत सारे एरोसोल उत्पन्न होते हैं जो जानवरों सहित विभिन्न जीवों के लिए जोखिम का स्रोत बनते हैं।
डॉ. एस श्रीराम ने बताया, जब मवेशी या कोई अन्य घरेलू जानवर इन एरोसोल के संपर्क में होते हैं, तो उनके संक्रमित होने की आशंका होती है साथ ही जानवरों से यह संक्रमण इंसानों में पहुंच सकता है। बताया कि चैन्ने में मवेशी पालक और जानवरों में टीबी संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि अगर पास्चुरीकृत दूध नहीं है और उस जानवर में टीबी की आशंका है तो यह संक्रमण का प्रभाव उसके दूध में भी हो सकता है। शोद्यार्थियों ने अध्ययन में इस जोखिम से बचने के लिए पाश्चुरीकृत दूध के सेवन की सिफारिश की।