इंडियन मुजाहिदीन व सिमी स्लीपर सेल से जुड़े प्रकरण का मंगलवार को 7 साल बाद आया फैसला आ गया। मामले की सुनवाई करते हुए डीजे उमाशंकर व्यास ने फैसला सुनाया। इस मामले में 12 आरोपियों को दिया दोषी करार दिया गया है। वहीं एक आरोपी को बरी कर दिया गया है।
इस प्रकरण में इंडियन मुजाहिदीन व प्रतिबंधित संगठन सिमी के स्लीपर सेल के 13 आरोपी 2014 से जेल में बंद है। इन सभी आरोपियों पर आतंकी हमले की योजना बनाने, बम बनाने का प्रशिक्षण देने, फर्जी दस्तावेजों से सिम खरीदने, जिहाद के नाम पर फंड एकत्रित करने, आतंकियों को शरण देने, बम विस्फोट के स्थलों की रेकी करने सहित अन्य आरोप है। ये सभी इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स थे। इन पर आरोप था कि ये युवक प्रतिबंधित संगठन सिमी से जुड़े है और राजस्थान में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए बम बनाने सहित कई अन्य काम चुपचाप कर रहे है।
गौरतलब है कि ये सभी आरोपी गोपालगढ़ में हुई फायरिंग से नाराज थे और इन्होंने इसका बदला लेने के लिए ही आतंकी हमला बनाने की योजना बना रहे थे। इन आरोपियों के पास से एटीएस ने लैपटॉप, फोन, पेनड्राइव, किताबें दस्तावेज इलेक्ट्रॉनिक सामान बरामद किया था। दिल्ली एटीएस की सूचना पर राजस्थान एटीएस ने 28 मार्च, 2014 को एफआईआर दर्ज की थी।
इन्हें ठहराया गया दोषी
आरोपियों में अब्दुल मजीद, मोहम्मद वाहिद, मोहम्मद उमर, मोहम्मद आकिब, मोहम्मद वकार, मोहम्मद अम्मार, बरकत अली, मशरफ इकबाल, मोहम्मद मारूफ, अशरफ अली, मोहम्मद साकिब अंसारी, वकार अजहर,मोहम्मद सज्जाद को आरोप. करार दिया है, वहीं एक आरोपी सरकारी गवाह बन चुका है।