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Saturday, May 4, 2024

10 साल से चल रहे अध्ययन में पता चला,ऊंचाई पर तैनात जवानों के दिल-दिमाग में ब्लड क्लॉट बनने का खतरा सबसे ज्यादा है

अभी तक निचले और ऊंचाई स्थानों पर रहने वालों के बीच थ्रोम्बोसिस को लेकर चिकित्सीय अध्ययनों में अलग अलग दावे किए जा रहे थे लेकिन पहली बार वैज्ञानिक तौर पर यह साबित हुआ कि अधिक ऊंचाई पर रहने वाले काफी तेजी से इसकी चपेट में आ सकते हैं।  देश के दो दर्जन से भी अधिक सैन्य चिकित्सीय संस्थानों ने मिलकर जवानों को लेकर महामारी विज्ञान के साथ यह अध्ययन किया है जो 10 वर्ष पहले साल 2012 में शुरू हुआ था।

अब यह द लांसेट दक्षिणपूर्वी एशिया मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ। इसके अनुसार हजारों फीट की ऊंचाई पर तैनात जवानों के दिल-दिमाग में ब्लड क्लॉट बनने का खतरा निचले स्थानों पर रहने वालों की तुलना में अधिक है। विशेषज्ञों के अनुसार इस अध्ययन के जरिए सैन्य जवानों के स्वास्थ्य को लेकर अहम कदम उठाए जा सकते हैं। ऊंचे स्थानों पर तैनाती के दौरान समय पर जांच की जा सकती है। ताकि जवानों को समय पर चिकित्सीय उपचार दिया जाए।

अध्ययन के दौरान डॉक्टरों को कई जवान ऐसे भी मिले जिनकी रक्त धमनियों में ब्लड क्लॉट यानी रक्त का थक्का मिला। 30 में से 15 जवानों की नसों में थ्रोम्बोसिस पाया गया जबकि 12 जवानों में शिरायुक्त क्लॉट मिला। तीन की रक्त धमनियों में क्लॉट मिला। जांच से पहले इनमें से किसी को इसके बारे में जानकारी नहीं थी। हालांकि इनमें लक्षण लंबे समय थे। कई जवानों में 100 दिन तक लक्षण देखने को मिले।

 

डॉक्टरों के अनुसार, भारतीय सेना के जवान माइनस डिग्री तापमान और हजारों फीट ऊंचाई पर तैनात रहते हैं। अभी तक ऊंचे स्थान और थ्रोम्बोसिस को लेकर बहुत अधिक जानकारी नहीं थी। चूंकि दुनिया भर में थ्रोम्बोसिस को काफी जोखिम भरा माना जाता है। यह हमारे जवानों का जोखिम बढ़ा सकता है। इसलिए जून 2012 से जून 2014 के बीच 960 स्वस्थ जवानों को चुन अध्ययन किया गया था। एक लंबी जांच प्रक्रिया, उनकी रिपोर्ट और विशेषज्ञों के बीच विचार के बाद यह निष्कर्ष प्रकाशित हुआ है।सशस्त्र बल चिकित्सा अनुसंधान समिति और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की अनुमति पर हुए इस अध्ययन में पता चला कि 15 हजार या उससे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में दो साल तक ड्यूटी करने के दौरान जवानों में थ्रोम्बोसिस (घनास्त्रता) की आशंका बढ़ जाती है। चिकित्सीय विज्ञान में यह स्थिति एक गंभीर और जानलेवा मानी जाती है। इसमें इंसान के शरीर में मौजूद नसों में ब्लड क्लॉट (रक्त का थक्का) जमने से दिल का दौरा या फिर ब्रेन स्ट्रोक की आशंका कई गुना बढ़ जाती है जिसका तत्काल उच्च केंद्र पर उपचार आवश्यक होता है।

 

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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