जयश्री कुमारी
एक किसान परिवार में जन्मी गुरजीत कौर ने टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रच दिया।अमृतसर के मियादी कलां गांव की रहने वाली 25 साल की गुरजीत के परिवार का हॉकी से कुछ लेना देना नहीं था। उनके पिता सतनाम सिंह के लिए तो बेटी की पढ़ाई ही सबसे पहले थी। गुरजीत और उनकी बहन प्रदीप ने शुरुआती शिक्षा गांव के पास के निजी स्कूल से ली। इसके बाद वे तरनतारन के कैरों गांव में एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने गई। यही हॉकी के लिए उनका लगाव शुरू हुआ। वे लड़कियों को हॉकी खेलते देख प्रभावित हुई और उन्होंने इसमें हाथ आजमाने का फैसला किया।और आज वो किसी पहचान की मोहताज नहीं ,पूरा देश उन्हें जान रहा है। इसलिए कहते है अगर आत्मविश्वाश और कुछ कर दिखाने का हौसला हो तो कामयाबी गरीबी अमीरी नहीं देखती ,देखती है तो बस सच्ची लगन और मेहनत।