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Sunday, July 6, 2025

दिल्ली एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने में अगर राज्य विफल रहते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट बनाएगा टास्क फोर्स 

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर गहरी चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के सुझाए कदमों को उठाने में राज्य विफल रहते हैं, तो वह टास्क फोर्स का गठन कर सकता है।

चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने केंद्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब को निर्देशों का अनुपालन दिखाने के लिए कहा है। कोर्ट अब बृहस्पतिवार को फिर मामले की सुनवाई करेगा।

आदित्य दुबे की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, क्या आयोग अपने आप कदम उठाने के बजाय राज्यों को केवल अदालत के निर्देश दे रहा है? पीठ ने मेहता से सवाल किया, ‘हमें बताएं, क्या राज्य निर्देशों का पालन कर रहे हैं? नहीं तो हम टास्क फोर्स बनाएंगे।’ सुनवाई में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा, सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत चल रही निर्माण गतिविधि भी दिल्ली में वायु प्रदूषण को बढ़ा रही है। उन्होंने कोर्ट से इसे रोकने के लिए निर्देश जारी करने को कहा।

पीठ ने सॉलिसिटर जनरल से हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा कि दिल्ली में केंद्र सरकार के नियंत्रण वाले इलाकों में वायु प्रदूषण रोकने के लिए क्या किया है? शीर्ष अदालत ने कहा, निर्देश जारी कर दिए हैं…अथॉरिटी को उम्मीद है कि सब अच्छा होगा। लेकिन जमीनी स्तर पर नतीजा शून्य है। कोर्ट ने कहा, केंद्र का कहना है, वह कदम उठा रहा है, फिर भी प्रदूषण का स्तर खराब होता जा रहा है और कोरोना वायरस का खतरा भी मंडरा रहा है।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ को बताया कि निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध के कारण प्रभावित करीब 2.90 लाख मजदूरों को निर्माण मजदूर कल्याण कोष से पांच-पांच हजार रुपये दिए जा चुके हैं। पीठ ने एनसीआर के दूसरे राज्यों से भी इसकी जानकारी तलब की। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मजदूरों की स्थिति देखते हुए राज्यों को यह निर्देश दिए थे। कोर्ट ने पाया कि कोष में हजारों करोड़ रुपये बिना उपयोग के पड़े हैं।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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