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Sunday, May 19, 2024

कल धुरखेली के बाद आज बिहार में होली, मगर यहां तो 14 अप्रैल को होलिका दहन करेंगे

आज हर कोई होली के रंग से रंगा हुआ है लेकिन एक गांव ऐसा भी है जहां आज रंग का एक कतरा भी नहीं दिखता। आलम तो यह है कि इस गाँव में न तो कोई रंग खेलता और न ही किसी के घर के चूल्हे पर कड़ाही चढ़ाया जाता है। अगर किसी ने ऐसा कुछ करने की हिम्मत की तो समझिये उसके घर में आग लगना तय है। जी हाँ यह है बिहार के मुंगेर जिला अंतर्गत असरगंज का साजुआ गांव जिसे लोग सती स्थान भी कहते हैं। मुंगेर जिला में पड़ने वाला यह गांव जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर दूर है।

इस गांव के लोगों के लिए होली है अभिशाप

यह कहानी कब की है यह किसी को सही से मालूम नहीं है लेकिन सभी लोगों का बस यही कहना है कि हमारे पूर्वजों ने ऐसा देखा था। इस गाँव के प्रकाश यादव का कहना है कि साजुआ गांव में करीब 250 सालों से होली न खेलने की एक परंपरा चली आ रही है। क्यों कि यहां होली खेलना त्यौहार नहीं बल्कि एक अभिशाप है।

यह कहानी नहीं सच्चाई है

प्रकाश यादव बताते हैं कि लगभग 250 वर्ष से भी पहले इसी गांव में सती देवी नाम की एक महिला के पति का होलिका दहन की रात निधन हो गया। पति की मौत के बाद सती भी अपने पति के साथ चिता पर जलकर सती होना चाहती थी जिसे समाज के लोगों ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया। लेकिन पतिव्रता सती अपनी जिद पर अड़ी रही। मजबूर होकर लोगों ने उन्हें उनके घर के एक कमरे में बंद कर दिया और उसके पति के शव को अर्थी पर लादकर ले जाने लगे।

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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