बुजुर्ग को पीट कर उसकी पगड़ी निकाल फोटो फेसबुक पर डालने के मामले में आरोपी को जमानत से पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने साफ इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि पगड़ी धार्मिक प्रतीक है और इस तरह का कार्य धार्मिक भावनाओं को आहत करना है। ऐसा कृत्य करने वाला रहम का हकदार नहीं है।
गुरप्रीत सिंह एवं अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए अग्रिम जमानत की मांग की थी। शिकायत के अनुसार आरोप है कि गुरप्रीत ने 10 सितंबर 2019 को तरनतारन में 65 वर्षीय बजुर्ग की पगड़ी उतार कर उसकी पिटाई की थी और बाद में उसी अवस्था में उसकी फोटो को फेसबुक पर डाल दिया था। इस मामले में पीड़ित की शिकायत पर भी पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया था। बाद में जब पीड़ित ने हाईकोर्ट में याचिका दखिल की तो पुलिस ने फरवरी 2021 में मामला दर्ज किया।
इसी मामले में अब आरोपियों ने जमानत की मांग को लेकर हाईकोर्ट की शरण ली है। याची ने बताया कि मामला 10 सितंबर 2019 का है और एफआईआर फरवरी 2021 में दर्ज हुई है। हाईकोर्ट ने आरोपियों की सभी दलीलों को ख़ारिज करते हुए कहा कि एक 65 साल के बजुर्ग की पगड़ी उतार कर उसके साथ मारपीट की गई है।
आरोपियों ने बिना पगड़ी के घायलावस्था में बजुर्ग की फोटो फेसबुक में अपलोड कर इसे सावर्जनिक कर दिया। ऐसा करना सीधे तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मामला बनता है। पगड़ी धर्म का एक अनिवार्य प्रतीक है। इस प्रकार धर्म के प्रतीक का अपमान सीधे तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करता है। ऐसे में इस प्रकार के कृत्य के आरोपी किसी भी प्रकार की राहत के हकदार नहीं हैं। इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका को सिरे से खारिज कर दिया।