वाराणसी, 27 अप्रैल 2025, रविवार। वाराणसी के शिवपुर के खुशहाल नगर में एक दिल दहला देने वाली घटना ने शहर को झकझोर कर रख दिया। 22 अप्रैल को एक निजी स्कूल में 12वीं कक्षा के छात्र हेमंत पटेल की कनपटी में गोली लगने से मौत हो गई। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों में आक्रोश भरा, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भी हलचल मचा दी। हेमंत के पिता, अधिवक्ता कैलाश चंद्र वर्मा ने स्कूल प्रबंधन सहित तीन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसमें मामले को दबाने और आरोपियों को संरक्षण देने के गंभीर आरोप लगाए गए।
इसी मुद्दे को लेकर अपना दल (कमेरावादी) की नेत्री और सिराथू विधायक डॉ. पल्लवी पटेल ने शनिवार को अपने समर्थकों के साथ मिलकर वाराणसी में प्रदर्शन का आह्वान किया। उनका मकसद था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय जनसंपर्क कार्यालय के पास ज्ञापन सौंपकर न्याय की मांग करना। लेकिन यह प्रदर्शन तब विवादों में घिर गया, जब पुलिस ने कार्यालय के पास बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया।
सड़क पर धरना, पुलिस से तकरार
पुलिस की रोक के बावजूद विधायक पल्लवी पटेल ने हार नहीं मानी। वे अपने समर्थकों के साथ सड़क पर ही धरने पर बैठ गईं। इस दौरान कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक हुई। पल्लवी ने बैरिकेडिंग पार करने की कोशिश की, लेकिन महिला पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक लिया। हंगामा बढ़ता देख पुलिस ने सख्ती दिखाई, और आखिरकार विधायक ने पुलिस अधिकारियों को ही ज्ञापन सौंपकर प्रदर्शन समाप्त किया। लेकिन यह मामला यहीं ठंडा नहीं हुआ।
भेलूपुर पुलिस ने विधायक पल्लवी पटेल और उनके समर्थकों के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा, सड़क जाम करने और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया। डीसीपी काशी जोन गौरव बंसवाल ने बताया कि विधायक को पहले ही धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी गई थी। प्रशासन ने साफ कर दिया था कि ज्ञापन जिला कलेक्ट्रेट में जमा किया जा सकता है, और धरने के लिए शास्त्री घाट ही निर्धारित स्थान है।
शास्त्री घाट ही एकमात्र विकल्प
इस घटना ने वाराणसी में धरना-प्रदर्शन के नियमों को फिर से चर्चा में ला दिया। अपर पुलिस आयुक्त डॉ. एस चनप्पा ने सख्त लहजे में कहा कि शहर में शास्त्री घाट के अलावा कहीं और धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि नियम तोड़ने वालों के खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उनका कहना था कि अनधिकृत प्रदर्शनों से आम लोगों को परेशानी होती है और कानून-व्यवस्था पर असर पड़ता है।
न्याय की मांग और सियासी उबाल
हेमंत पटेल की हत्या ने न केवल एक परिवार को दुख के सागर में डुबोया, बल्कि यह मामला अब सियासी रंग भी ले चुका है। अधिवक्ताओं और अपना दल (कमेरावादी) के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इस मामले में सत्ताधारी दल की ओर से लीपापोती की जा रही है। दूसरी ओर, पुलिस और प्रशासन का कहना है कि वे कानून के दायरे में कार्रवाई कर रहे हैं।
यह घटना वाराणसी की सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक चर्चा का विषय बनी हुई है। सवाल यह है कि क्या हेमंत पटेल को न्याय मिलेगा? और क्या इस मामले में सियासी तकरार और प्रदर्शन शांत होंगे? फिलहाल, वाराणसी की गलियों में यह सवाल हर जुबान पर है।