हटिया हादसे में 11 जिंदगियां आधे घंटे तक मौत से लड़ती रहीं। दरअसल हताहत 13 में से दो की मौके पर ही मौत हो गई थी। अन्य लोग छज्जे के मलबे के नीचे दबे रहे। पुलिसकर्मी पहुंचे, लेकिन वह भी बेबस दिखे। स्थानीय लोग मदद को आगे आए तो सभी को अस्पताल भेजा जा सका। लेकिन इनमें से तीन अन्य भी नहीं बच सके।
घटना दोपहर में 1.45 बजे के करीब हुई। उस वक्त मुट्ठीगंज के ही रहने वाले प्रयागराज उद्योग व्यापार मंडल के जिला प्रभारी राजकुमार केसरवानी भी वहां मौजूद थे। उन्होंने बताया कि छज्जा ढहने के बाद दुकानों में मौजूद लोग मलबे के नीचे दबे तो चीखपुकार मच गई। आसपास के लोग भागते हुए पहुंचे तो देखा कि मलबा काफी ज्यादा था
इनमें पत्थरों की चटिया और लोहे के गार्डर के टुकड़े भी थे, जिसको हटाना बेहद मुश्किल था। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जितने लोग मलबे में दबे थे, जिनमें से दो के शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी और वह बेसुध पड़े थे। अन्य लोग किसी तरह चीखते हुए बाहर निकलने की कोशिश में जुटे थे। इसी दौरान ठीक सामने स्थित हटिया चौकी के पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे। उनकी सूचना पर कंट्रोलरूम से मैसेज प्रसारित हुआ और फिर मुट्ठीगंज पुलिस के साथ ही मौके पर पीआरवी की भी कई गाड़ियां पहुंच गईं।
वक्त बीतता जा रहा था, ऐसे में जेसीबी मशीन मंगाई गई। जेसीबी से मलबा हटवाया गया तब जाकर एक के बाद एक शेष अन्य लोगों को इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया। इस दौरान एहतियातन एसडीआरएफ और पीएसी के जवानों को भी बुलाया गया। घायलों को अस्पताल भेजने के साथ ही पुलिस-प्रशासन ने छज्जे के बचे हुए हिस्से को भी ढहा दिया। इसके साथ ही बगल स्थित एक मकान के छज्जे के भी कुछ हिस्से को तोड़ा गया।