खेल की दुनिया में खास पहचान बनाने वाला हरियाणा इस बार ओलंपिक में नया इतिहास रचेगा। पहली बार ओलंपिक के बॉक्सिंग रिंग में प्रदेश की दो बॉक्सर बेटियां उतरेंगी। अब तक प्रदेश से बॉक्सिंग में बेटे ही ओलंपिक में अपने पंच का दम दिखाते रहे हैं। हालांकि बेटे स्वर्ण पदक का सूखा दूर नहीं कर पाए हैं। रुड़की की प्रवीण हुड्डा व महम की प्रीति पंवार ओलंपिक में स्वर्ण पदक का सूखा भी दूर कर सकती हैं। रोहतक की इन दोनों बेटियों ने पहली बार एशियन गेम्स में हिस्सा लेकर ओलंपिक कोटा हासिल किया।
भैंस का दूध बेचकर परिवार पाल रही मां
बॉक्सर प्रवीण के पिता लखपत हुड्डा पिछले करीब एक साल से कैंसर से जूझ रहे हैं। परिवार के पास महज एक एकड़ जमीन है। यह बंजर है।मां नीलम किसी तरह भैंस का दूध बेच कर परिवार चला रही हैं। छोटा भाई भाई रवि पढ़ाई कर रही है। प्रवीण खुद भी बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा है।
यूं शुरू हुआ प्रवीण की बॉक्सिंग का सफर
जुलाई 2010 में सुधीर हुड्डा रुड़की के सरपंच बने। सरपंच ने गांव में नया खेल लाने का प्रयास किया। इसके चलते वर्ष 2011 में बॉक्सिंग शुरू की। वर्ष 2011 के दिसंबर में प्रवीण की इसमें एंट्री हुई। इसके छह माह बाद ही प्रवीण ने पहला पदक जीत कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। सरपंच ने खुद कोच के रूप में उसे बॉक्सिंग के गुर सिखाए।
यह हैं प्रवीण की उपलब्धियां
- 2012 में कोलकोता में हुई बॉक्सिंग सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में पहल स्वर्ण पदक जीता।
- 2013 से 16 तक प्रदेश में बॉक्सिंग खेल पर पर प्रतिबंध लगे होने से नहीं हो पाई चैंपियनशिप।
- 2017 में दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में हुई यूथ चैंपियनशिप में दूसरा स्वर्ण पदक जीता।
- 2019 में काठमांडू में हुई एलीट महिला वर्ग की साउथ एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
- 2022 में जॉर्डन में हुई एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
- 2022 में इस्तांबुल, तुर्की में हुई विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
- 2023 में चीन में चल रहे एशियन गेम्स में पक्का व ओलंपिक कोटा पक्का किया।
लॉकडाउन में प्रीति ने निखारी अपनी प्रतिभा
कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में मूलरूप में भिवानी के बड़ेसरा हाल महम के वार्ड नंबर एक निवासी प्रीति पंवार ने अपने चाचा राजा विनोद से बॉक्सिंग के गुर सीखे। महज तीन साल में इस बेटी ने चीन में चल रहे एशियन गेम्स में अपना पदक व ओलंपिक कोटा पक्का कर अपनी प्रतिभा दर्शाई है। प्रीति अपने तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी है। छोटी बहन व भाई पढ़ाई कर रहे हैं। पिता सोमबीर हरियाणा पुलिस में एएसआई हैं। वे कबड्डी के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे हैं। चाचा राजा विनोद बॉक्सिंग के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे हैं।
बच्चों की सुविधा के लिए गांव छोड़ महम में बसे
पिता एएसआई साेमबीर ने कहा कि बड़ेसरा गांव में रहते हुए बच्चों को अच्छी शिक्षा व अन्य सुविधाएं मुहैया नहीं हो रही थी। इसलिए महम में आ बसे। बेटी ने एशियन गेम्स में ओलंपिक कोटा हासिल कर सभी का मान बढ़ाया है।
शुरू में दर्द बर्दाश्त नहीं होने पर छोड़ दी थी बॉक्सिंग
चाच राजा विनोद ने बताया कि प्रीति ने 13 साल की उम्र में बॉक्सिंग शुरू की थी। उस समय वह दर्द बर्दाश्त नहीं कर पाई। इस कारण उसने खेल छोड़ पढ़ाई में ध्यान लगाया। कोविड के खाली समय में उसने दोबारा बॉक्सिंग शुरू की। इस बार कड़ी मेहनत से खुद को तपाया और मुड़ कर नहीं देखा।
यह हैं प्रीति की उपलब्धियां
- असम में हुई खेलो इंडिया प्रतियोगिता में पहला रजत पदक जीता।
- 2021 में सोनीपत में हुई यूथ नेशनल में स्वर्ण पदक हासिल किया।
- 2021 पंचकूला में हुई खेलो इंडिया में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
- दुबई में हुई यूथ एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।
- 2022 में सीनियर चैंपियनशिप में कांस्य पदक प्राप्त किया।
- पहली बार वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए खेली व क्वालीफाई किया।