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Tuesday, May 14, 2024

राज्यपाल ने कर्नाटक सरकार के मंदिरों पर टैक्स लगाने वाले बिल को वापस लौटाया, स्पष्टीकरण के साथ फिर से जमा करने का दिया निर्देश

कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कर्नाटक सरकार के मंदिरों पर टैक्स लगाने वाले बिल को सरकार को वापस लौटा दिया है। राज्यपाल ने विधेयक में और ज्यादा स्पष्टीकरण के साथ फिर से देने का निर्देश दिया है। इस विधेयक में मंदिरों की कमाई पर टैक्स लगाने का प्रावधान है। भाजपा द्वारा इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है। 

किस आधार पर राज्यपाल ने लौटाया विधेयक
राजभवन की तरफ से कहा गया है कि साल 2011 और 2012 में जो कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक पेश किया गया था, उस पर हाईकोर्ट की धारवाड़ पीठ ने रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। राजभवन की तरफ से कहा गया है कि उसके बाद से मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में इस पर स्पष्टता जरूरी है कि क्या मामले के लंबित रहने के दौरान उसमें संशोधन किया जा सकता है या नहीं, खासकर जब पूरे विधेयक पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।। 

क्या है कर्नाटक का धार्मिक संस्थान विधेयक
कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने राज्य के मंदिरों पर टैक्स लगाने के लिए कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया था। इस विधेयक के तहत राज्य के जिन मंदिरों की सालाना कमाई 10 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये के बीच में है, उनसे सरकार पांच प्रतिशत टैक्स वसूलेगी। वहीं जिन मंदिरों की सालाना कमाई एक करोड़ रुपये से अधिक है, उन पर सरकार 10 प्रतिशत टैक्स लगाने की तैयारी कर रही है। यह विधेयक विधानसभा के दोनों सदनों से पारित हो चुका है, लेकिन अब राज्यपाल ने इस पर और स्पष्टीकरण देने की मांग करते हुए विधेयक को लौटा दिया है।  

कर्नाटक में 34 हजार से ज्यादा मंदिर सरकार के अधीन हैं। इन मंदिरों को सरकार ने सालाना कमाई के आधार पर तीन कैटेगरी में बांटा हुआ है। सरकार ज्यादा आमदनी वाले मंदिरों से पैसा लेकर आर्थिक रूप से कमजोर मंदिरों और उनके पुजारियों की भलाई में खर्च करती है। राज्य सरकार का तर्क है कि वह मंदिरों से होने वाली कमाई को बढ़ाना चाहती है, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर मंदिरों और उनके पुजारियों की पर्याप्त मदद हो सके। वहीं भाजपा का विरोध है कि सरकार सिर्फ हिंदू मंदिरों पर ही टैक्स क्यों लगा रही है, साथ ही भाजपा और संतों की मांग है कि सरकार पुजारियों को बजट से पैसा क्यों नहीं दे सकती?

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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