लखनऊ 31 मार्च 2025, सोमवार: उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के 65 पीसीएस (प्रांतीय सिविल सेवा) अधिकारियों को एक बड़ी सौगात दी है। इन अधिकारियों को अब नई पेंशन योजना (एनपीएस) के बजाय पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ मिलेगा। यह निर्णय उन अधिकारियों के लिए राहत की सांस लेकर आया है, जिनकी नियुक्ति भले ही नई पेंशन व्यवस्था लागू होने के बाद हुई थी, लेकिन उनकी भर्ती प्रक्रिया का विज्ञापन 28 मार्च 2005 से पहले जारी हो चुका था। इस कदम से सरकार ने न केवल इन अधिकारियों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है, बल्कि पुरानी पेंशन व्यवस्था की मांग को लेकर चल रही चर्चाओं को भी नया आयाम दिया है।
पुरानी पेंशन का सपना हुआ साकार
देश में 1 अप्रैल 2005 से पुरानी पेंशन व्यवस्था को समाप्त कर नई पेंशन योजना (एनपीएस) लागू की गई थी। इस बदलाव ने सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट बेनिफिट्स को बाजार आधारित बना दिया था, जिससे कई कर्मचारी संशय में थे। लेकिन कुछ ऐसे अधिकारी थे, जिनकी भर्ती प्रक्रिया पुरानी व्यवस्था के दौर में शुरू हुई, पर जॉइनिंग नई व्यवस्था लागू होने के बाद हुई। केंद्र सरकार ने इस विसंगति को दूर करने के लिए राज्यों को निर्देश दिया था कि वे अपने स्तर पर इसे लागू कर सकते हैं। इसी आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार ने कटऑफ डेट 28 मार्च 2005 तय की और अब 65 पीसीएस अधिकारियों को पुरानी पेंशन का लाभ देने का आदेश जारी किया। यह लाभ “रिटायरमेंट बेनिफिट्स रूल्स, 1961” के प्रावधानों के तहत दिया जाएगा।
किन अधिकारियों को मिलेगा लाभ?
इस फैसले से प्रभावित होने वाले अधिकारियों में कई चर्चित नाम शामिल हैं। अर्चना ओझा, अंजूलता, देवेंद्र सिंह, मनोज कुमार सरोज, वंदिता श्रीवास्तव, दयानंद प्रसाद, शैलेंद्र चौधरी, देवेंद्र प्रताप, रेशमा सहाय, अनुराग सिंह और प्रियंका चौधरी जैसे अधिकारियों को अब पुरानी पेंशन का लाभ मिलेगा। इसके अलावा अमित कुमार, राजेश कुमार सिंह, विनीत मिश्रा, आलोक कुमार वर्मा, नवीन प्रसाद, हिमांशु गौतम, बलराम सिंह, संतोष कुमार ओझा और रामकुमार जैसे अधिकारियों का नाम भी इस सूची में है। ये सभी अधिकारी अब रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन की सुरक्षा का आनंद ले सकेंगे, जो एनपीएस के तहत बाजार जोखिमों से प्रभावित होती थी।
क्यों खास है यह फैसला?
पुरानी पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों को उनकी अंतिम सैलरी का 50% हिस्सा पेंशन के रूप में मिलता है, जो जीवन भर निश्चित रहता है। वहीं, एनपीएस में कर्मचारी और सरकार का योगदान बाजार में निवेश होता है, जिसके रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती। इसीलिए पुरानी पेंशन को कर्मचारियों के लिए “सुरक्षा कवच” माना जाता है। उत्तर प्रदेश सरकार का यह फैसला उन अधिकारियों के लिए नवरात्र का विशेष तोहफा बनकर आया है, जो लंबे समय से इस मांग को उठा रहे थे।
आगे की राह और सवाल
यह कदम भले ही 65 अधिकारियों के लिए खुशखबरी हो, लेकिन इससे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या अन्य कर्मचारी भी इस लाभ के दायरे में आएंगे? कई संगठन और कर्मचारी यूनियन लंबे समय से एनपीएस को खत्म कर पुरानी पेंशन व्यवस्था को पूरी तरह बहाल करने की मांग कर रहे हैं। यूपी सरकार के इस फैसले ने इस बहस को फिर से हवा दे दी है। क्या यह एक शुरुआत है या केवल चुनिंदा मामलों तक सीमित रहेगा? यह देखना दिलचस्प होगा।
फिलहाल, इन 65 पीसीएस अधिकारियों के लिए यह निर्णय एक बड़ी जीत है। यह न केवल उनके रिटायरमेंट को सुरक्षित करेगा, बल्कि उनकी मेहनत और सेवा को सम्मान देने का भी प्रतीक है। क्या आप भी इस फैसले से प्रभावित हैं या इसके बारे में कुछ कहना चाहते हैं? यह बहस अभी खत्म नहीं हुई है!