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Friday, May 3, 2024

गीतांजलि श्री अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय लेखिका बनी

गीतांजलि श्री अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय लेखिका बन गई हैं। उन्हें उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ के लिए यह अवार्ड मिला है। अवार्ड मिलने के बाद गीतांजलि श्री ने कहा कि “मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अवार्ड जीत सकती हूं।”

टॉम्ब ऑफ सैंड’ विश्व के उन 13 पुस्तकों में शामिल था, जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए लिस्ट में शामिल किया गया था। ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा की पहली किताब बन गई है।

लेखिका गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ पिछले महीने अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए ‘शॉर्टलिस्ट’ किया गया था। वहीं गीतांजलि श्री की यह पुस्तक मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुई थी। जिसका अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’, डेजी रॉकवेल ने किया है और जूरी के सदस्यों ने इसे ‘शानदार और अकाट्य’ बताया था।

 

कौन हैं गीतांजलि श्री

गीतांजलि श्री मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मैनपुरी की रहने वाली हैं। गीतांजलि श्री ने तीन उपन्यास और कई कथा संग्रह लिखी हैं। उनकी कृतियों का अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियन और कोरियन भाषाओं में अनुवाद हुआ है। वहीं गीतांजलि श्री अब दिल्ली में रहती हैं और उनकी उम्र  64 साल है। उनकी अनुवादक डेजी रॉकवेल एक पेंटर एवं लेखिका हैं जो अमेरिका में रहती हैं। उन्होंने हिंदी और उर्दू की कई साहित्यिक कृतियों का अनुवाद किया है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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