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Saturday, May 18, 2024

G-20: बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए करों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए होगा समझौता, 140 देश होंगे शामिल

अमेरिका, भारत और करीब 140 अन्य देश वैश्विक कर नियमों में आमूलचूल बदलाव के लिए एक समझौते पर पहुंचने के करीब हैं। इस समझौते के बाद बहुराष्ट्रीय कंपनियां जहां भी काम करती हैं वहां करों का भुगतान करें यह सुनिश्चित किया जा सकेगा। जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों की बैठक से इतर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक में अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने ओईसीडी के समावेशी ढांचे में ‘ऐतिहासिक दो स्तंभ वाले वैश्विक कर सौदे’ को अंतिम रूप देने पर भारत के ध्यान केंद्रित करने की सराहना की।

अमेरिकी वित्त मंत्री बोलीं- हम समझाैते के करीब 

येलेन ने द्विपक्षीय बैठक में अपनी टिप्पणी में कहा, ‘मेरा मानना है कि हम एक समझौते पर पहुंचने के करीब हैं। अंतरराष्ट्रीय कराधान प्रणाली में एक बड़े सुधार के तहत भारत समेत करीब 140 देश वैश्विक कर नियमों में आमूलचूल बदलाव पर सहमत हो गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां जहां भी काम करती हैं, कम से कम 15 प्रतिशत की दर से कर का भुगतान करें। हालांकि, इस समझौते में शामिल देशों को सभी डिजिटल सेवा कर और इसी तरह के अन्य उपायों को हटाने और भविष्य में इस तरह के उपायों को पेश नहीं करने की प्रतिबद्धता जाहिर करने की जरूरत होगी।

आम सहमति के आधार पर होगा समझौता

इस समझौते के लिए लाभ आवंटन में हिस्सेदारी और कर नियमों के दायरे सहित कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को अभी संबोधित किया जाना है। प्रस्ताव के तकनीकी विवरणों पर काम करने के बाद एक ‘आम सहमति समझौता’ किया जाएगा। प्रस्तावित दो स्तंभ समाधान में दो घटक शामिल हैं: स्तंभ एक बाजार क्षेत्राधिकार के लिए लाभ के अतिरिक्त हिस्से के पुन: आवंटन के बारे में है और स्तंभ दो में न्यूनतम कर शामिल है और यह कर नियमों के अधीन है। 

कर समझौते पर भारत ने की है ये पहल

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने पिछले सप्ताह जारी एक बयान में कहा कि कुछ देशों ने बहुपक्षीय सम्मेलन (एमएलसी) में “कुछ विशिष्ट मदों” के साथ चिंता व्यक्त की है। ओईसीडी ने कहा, “इन मुद्दों को हल करने के प्रयास चल रहे हैं ताकि एमएलसी को तेजी से हस्ताक्षर के लिए तैयार किया जा सके। भारत जी-20 देशों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान करता रहा है कि विकासशील देशों को प्रस्तावित वैश्विक न्यूनतम कर समझौते के किसी भी ‘अनपेक्षित परिणामों’ से बचाया जाए। कराधान के लिए जी-20 समावेशी ढांचे की सदस्यता में विकासशील देशों की हिस्सेदारी लगभग एक तिहाई है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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