वाराणसी, 15 दिसंबर 2024, रविवार। वाराणसी में अगहन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर आयोजित पौराणिक अंतरगृही परिक्रमा यात्रा में रविवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। यह यात्रा काशी की परंपरागत और धार्मिक महत्व को दर्शाती है, जिसमें श्रद्धालु नंगे पांव 75 तीर्थों की परिक्रमा करते हैं। इस यात्रा का शुभारंभ पंच विनायकों के दर्शन, बाबा विश्वनाथ के मुक्ति मंडप में संकल्प और मणिकर्णिका तीर्थ पर स्नान के साथ हुआ। श्रद्धालुओं ने धार्मिक आस्था से ओतप्रोत होकर हर-हर महादेव और काशी विश्वनाथ गंगे के जयघोष किए।
मणिकर्णिका घाट से नाव द्वारा अस्सी घाट, फिर जगन्नाथ मंदिर, संकटमोचन होते हुए वरुणा पुल तक यात्रा का मार्ग तय किया गया। चौकाघाट पर रात्रि विश्राम के दौरान बाटी-चोखा का आयोजन हुआ। मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होकर नंगे पांव चलने से पापों का प्रायश्चित होता है और व्यक्ति निरोग रहता है। यह यात्रा काशी की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए हुए है।
इस यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि यह यात्रा उनके जीवन को एक नई दिशा देती है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा में शामिल होने से उन्हें आत्मशांति और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होता है। इस यात्रा के आयोजकों का कहना है कि यह यात्रा काशी की परंपरागत और धार्मिक महत्व को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को पूरी सुरक्षा और सुविधा प्रदान की जाती है।
इस यात्रा का समापन मणिकर्णिका घाट पर संकल्प छुड़ाकर होगा। यह यात्रा काशी की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए हुए है।