उत्तर प्रदेश के वर्तमान राजनीतिक हालात में भाजपा और सपा के बीच कड़ी टक्कर होने का अनुमान लगाया जा रहा है। कुछ चुनावी सर्वे भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि अगली सरकार बहुत मामूली सीटों के अंतर के साथ गठित हो सकती है। दोनों प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंदी दलों के बीच वोट प्रतिशत का आंकड़ा भी काफी सिकुड़ता जा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार यूपी का चुनावी परिणाम फ्लोटिंग वोटर तय करेंगे जो चुनाव के अंतिम क्षणों में अपना मन बनाते हैं।
यही कारण है कि भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी के धुआंधार चुनाव प्रचार के जरिए ऐसे फ्लोटिंग वोटर्स को अपने साथ लाने की कोशिश शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री मोदी वोटरों को अपने साथ जोड़ने के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। भाजपा का श्रमिक वर्ग को सहायता राशि देना, ताबड़तोड़ विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण भाजपा की इसी रणनीति का हिस्सा है। वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी सरकार बनने पर 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा कर और भगवान परशुराम की पूजा कर फ्लोटिंग वोटरों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
कौन हैं फ्लोटिंग वोटर
हर देश-राज्य में कुछ राजनीतिक दल बेहद सक्रियता के साथ चुनाव में हिस्सा लेते हैं। पूरी चुनावी राजनीति उनके इर्द-गिर्द घूमती है। किसी बड़े राजनीतिक बदलाव के घटनाक्रम होने के बाद भी मतदाताओं का एक वर्ग उनके साथ रहता है। जैसे 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के बेहद सफल प्रदर्शन के बाद भी कांग्रेस 19.31 फीसदी वोट पाने में सफल रही थी। इसे कांग्रेस का डेडीकेटेड वोटर माना जा सकता है।
उत्तर प्रदेश के संदर्भ में कांग्रेस के बेहद खराब प्रदर्शन के बाद भी हर चुनाव में लगभग 6-7 फीसदी वोटर उसके साथ बना रहा है। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा के बेहद शानदार प्रदर्शन के बाद भी समाजवादी पार्टी ने 21.82 फीसदी तो बहुजन समाज पार्टी ने 22.23 फीसदी वोट बनाए रखा। पिछले कुछ चुनावों का आकलन करने के बाद भी यही निष्कर्ष निकलता है कि सपा-बसपा के लगभग 20 फीसदी वोटर हर हाल में उसके साथ बने रहते हैं। इन्हें इन दलों का डेडीकेटेड वोटर कहा जा सकता है।
वहीं, समाज के हर वर्ग में मतदाताओं का एक ऐसा उपवर्ग तैयार हो गया है जो किसी राजनीतिक दल की विचारधारा से बंधा न होकर तात्कालिक मुद्दों से प्रभावित होकर वोट करता है। यह सभी मुद्दों के आकलन के बाद लगभग चुनाव के अंतिम क्षणों में अपना मत तय करता है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इन वोटरों में युवा, मध्यम वर्गीय और शिक्षित समाज के वोटर ज्यादा होते हैं। ये सबसे ज्यादा शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और राष्ट्रवाद के मुद्दों से प्रभावित होते हैं और किसी राजनीतिक दल की इन मुद्दों पर नीति को देखकर ही वोट डालते हैं।
शिक्षित समाज में इस वर्ग का प्रतिशत ज्यादा तो कम शिक्षित समाज में इनका प्रतिशत कम होता है। माना जाता है कि अमेरिकी चुनाव में लगभग 40 फीसदी मतदाता इसी फ्लोटिंग कैटेगरी के आते हैं। भारत के चुनावों को लेकर किसी संस्था के द्वारा अभी तक फ्लोटिंग वोटर्स पर कोई आधिकारिक आंकड़ा पेश नहीं किया गया है, लेकिन माना जाता है कि यह आंकड़ा न्यूनतम 10 फीसदी से लेकर 25 फीसदी तक होता है। अलग-अलग राज्यों में इन मतदाताओं की संख्या अलग-अलग होती है।
फ्लोटिंग वोटर्स अंतिम समय में तय करते हैं अपना वोट
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) से जुड़े संजय कुमार ने अमर उजाला से कहा कि भारत के अलग-अलग राज्यों में फ्लोटिंग वोटर्स का हिस्सा अलग-अलग होता है। यदि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव की बात करें तो लगभग 22 से 24 फीसदी वोटरों ने फ्लोटिंग वोटरों के रूप में मतदान किया था। ये मतदाता ऐसे होते हैं तो चुनाव होने के दो-तीन दिन पहले अपना मन बनाते हैं। ये तात्कालिक मुद्दों या अंतिम चुनावी रूझान को देखते हुए अपना मत तय करते हैं।
कम होती जा रही है फ्लोटिंग वोटर्स की संख्या
संजय कुमार ने कहा कि हाल के समय में यह देखने में आ रहा है कि जैसे-जैसे भाजपा राजनीतिक रूप से मजबूत होती जा रही है, वैसे-वैसे फ्लोटिंग वोटरों की हिस्सेदारी कम होती जा रही है। फ्लोटिंग वोटरों की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि वे चुनाव के बिल्कुल अंतिम क्षणों में अपना मन बनाते हैं, जबकि भाजपा के उभार के साथ यह देखने में आ रहा है कि ज्यादातर लोग पहले से ही यह मन बनाने लगे हैं कि उन्हें किस दल को वोट देना है।
उन्होंने कहा कि यदि आज की तारीख में भी मतदाताओं से पूछा जाए कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव में किसे वोट करेंगे, तो मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग आज ही यह बताने की स्थिति में है कि वह किसे वोट करेगा। यानी आज की स्थिति में फ्लोटिंग वोटरों की संख्या कम होती जा रही है। चूंकि फ्लोटिंग वोटर राष्ट्रवाद और विकास से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है, और भाजपा ने इन्हीं दो मुद्दों पर अपना ध्यान केन्द्रित किया हुआ है, इस वर्ग के एक बड़े हिस्से का वोट 2014 और 2019 में भाजपा को मिला।
यूपी चुनाव में यही वोटर तय करेंगे किसकी बनेगी सरकार
फ्लोटिंग वोटरों के रुझान को देखते हुए भाजपा और सपा, अपना-अपना चुनावी दांव चल रहे हैं और इस वर्ग को अपने साथ जोड़ने में लगे हैं। भाजपा ने इन्हीं वोटरों को अपने पाले में करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मैदान में उतार दिया है, जो अपनी ही रणनीति से मतदाताओं को भाजपा के साथ जोड़ने में जुटे हैं, तो समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव स्वयं को विकास पुरूष बताकर इन्हीं वोटरों को साधने की कोशिश करते दिखाई पड़ रहे हैं। फिलहाल, जनता ने किसके दावे पर भरोसा किया, यह चुनाव परिणाम ही बताएगा