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Monday, May 20, 2024

सुरक्षित लौटे पांच हिमाचली सूडान से, परिजनों की आंखों से छलके खुशी के आंसू

सूडान में ऑपरेशन कावेरी के सफल ऑपरेशन के बाद हिमाचल प्रदेश के पांच लोग सुरक्षित लौट आए हैं। हमीरपुर के रोहित वर्मा, शिमला की नीकिता ठाकुर, ऊना के दयाल सिंह और कांगड़ा के मनोहर लाल को रेस्क्यू किया गया है। पहले इन्हें सूडान में सुरक्षित केंद्रों तक पहुंचाया गया। पोर्ट सूडान से इन लोगों को सउदी अरब के जेद्दा ले जाया गया। भारत ने जेद्दा में ट्रांजिट प्वाइंट बनाया है। इसके बाद इन्हें हवाई जहाज में स्वदेश लाया गया। बता दें कि सूडान की राजधानी खार्तूम और पड़ोसी क्षेत्रों में सेना और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स के बीच 15 अप्रैल से संघर्ष जारी है। सड़कों पर लड़ाई के पहले दिन कई विमान क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। भारतीयों को उस हवाई अड्डे से बाहर निकालना संभव नहीं था।

लोअर अंदौरा निवासी 25 वर्षीय रोहित शर्मा सूडान से चार दिन की मशक्कत के बाद घर लौट आने में कामयाब रहे। करीब एक सप्ताह तक उन्होंने बंद कमरे में समय गुजारा। उनके साथ ममेरे भाई समेत सात और भारतीय थे। अपने इकलौते बेटे रोहित के घर लौटने पर लोअर अंदौरा में उसके घर के लोगों ने चैन की सांस ली है।  रोहित शर्मा ने बताया कि वह सूडान में मोबाइल डिस्ट्रीब्यूटर का काम करता हैा। वह 2019 में सूडान गया था। इस साल 15 अप्रैल को अचानक गृह युद्ध शुरू हो गया। उन लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए खुद को घर में बंद कर लिया। जहां उसके साथ उसके मामा का लड़का दीपक निवासी धनेटा हमीरपुर सहित कुल आठ हिंदुस्तानी थे। वह मकान की तीसरी मंजिल पर थे। इसलिए बम और गोलियों की चपेट में आने से बचे रहे। खुशकिस्मती से उनके पास राशन का अच्छा स्टॉक था। उन्होंने 22 अप्रैल तक खुद को कमरे में बंद रखा। 22 अप्रैल की रात उनके सहयोगी ने बताया कि भारतीय दूतावास का संदेश आया है कि 23 की सुबह उन्हें एक बस लेने आएगी।

22 को ईद के चलते हिंसा कम थी। 23 अप्रैल की सुबह साढ़े आठ बजे एक बस उन्हें लेने के लिए पहुंची। बारह घंटे का सफर करके वह पोर्ट सूडान पहुंचे। वह पोर्ट सूडान में वह एक दिन रहे, जहां इंडियन नेवी की टीम पहुंची हुई थी। जहां उन्होंने पहले बैच में लगभग तीन सौ लोगों को पानी के जहाज से 12-13 घंटे के सफर के बाद जेद्दा के पोर्ट पर पहुंचाया गया। जहां पर औपचारिक कागजी कार्यवाही करके 26 अप्रैल को जेद्दा से सउदी एयरलाइंस की फ्लाइट से भारत के लिए उड़ान भरी। 26 अप्रैल को रात के लगभग साढ़े दस बजे दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर पहुंचे। जहां हिमाचल से भी एक टीम उन्हें लेने पहुंची। इसके बाद वह सीटीयू की बस से चंडीगढ़ तक पहुंचे और वहां 43 सेक्टर से अंब के लिए बस से रवाना हुए। 27 अप्रैल को सुबह 10:30 बजे वह अंब पहुंचे।  अपने इकलौते बेटे के घर सकुशल पहुंचने पर उसके पिता सुरिंद्र कुमार और माता ने भी राहत की सांस ली। 

सूडान से पत्नी के साथ सकुशल लौटे रोहित और नीतिका
सूडान से पत्नी के साथ सकुशल लौटे रोहित वर्मा और नीतिका ठाकुर ने सेना का शुक्रिया किया है। रोहित हमीरपुर के रहने वाले हैं, जबकि नीतिका मूलत: शिमला की रहने वाली हैं। रोहित ने बताया कि दिसंबर 2022 में वह पत्नी के साथ सूडान गए थे। राजधानी खार्तूम में माहौल बेहद खौफनाक है, लेकिन वह गदारीफ में रहते थे। वहां माहौल फिलहाल सुरक्षित था, लेकिन कब हालात बिगड़ जाएं, पता नहीं था। इसलिए 27 अप्रैल को कंपनी की गाड़ी से 800 किलोमीटर दूर पोर्ट सूडान पहुंचे, वहां से साउदी अरब के जेद्दा भेजा गया। 28 अप्रैल को जेद्दा से आर्मी बेस कैंप दिल्ली पहुंचे। दिल्ली से कैब लेकर शनिवार को चंडीगढ़ पहुंचे हैं। एक-दो दिन में हमीरपुर जाएंगे।

घर लौटा दयाल, परिजनों के छलके खुशी के आंसू
 सूडान से शनिवार दोपहर को सुरक्षित लौटने पर दयाल सिंह के परिजनों के खुशी के आंसू छलके पड़े। दयाल सिंह शनिवार दोपहर अपने घर पहुंचे। घर पहुंचने ने परिजनों ने दयाल सिंह का स्वागत किया। परिजन 15 दिन से दयाल सिंह को लेकर परेशान थे। दयाल सिंह दो साल से सूडान में मोबाइल क्रशर ऑपरेटर के तौर पर कर रहे थे। दयाल सिंह हरोली उपमंडल के गांव बालीवाल के रहने वाले हैं। बच्चों को गले लगाकर दयाल सिंह भी भावुक हो गए। बच्चों को पापा के घर आने की सूचना थी और शनिवार को वह स्कूल गए थे, लेकिन जैसे ही स्कूल से लौटे तो पापा को अपने बीच पाकर उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। दयाल सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि वर्तमान में सूडान में हालात बेहद खराब हैं। सूडान में गृह युद्ध चलने के कारण लगातार बमबारी हो रही है। इन हालात में उन्हें एक रोटी के सहारे 12-12 घंटे काटने पड़े। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए चलाए गए कावेरी ऑपरेशन के सहारे से लोग अपने देश सुरक्षित पहुंच रहे हैं। दयाल सिंह ने बताया कि सूडान में अभी भी भारतीय मूल के लोग फंसे हुए हैं। उन्होंने बताया कि सरकार का कावेरी ऑपरेशन भारतीयों को जीवनदान देने से कम नहीं है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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