वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में शतरंज के स्टार खिलाड़ी रमेशबाबू प्रगनाननंदा का भी जिक्र किया। उन्होंने इस दौरान यह भी बताया कि मौजूदा समय में देश में 80 से ज्यादा ग्रैंडमास्टर हैं। (भारत में कुल 84 ग्रैंडमास्टर हैं, इनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं) प्रगनाननंदा ने विश्व चैंपियन नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन को कई बार हराकर सुर्खियां बटोरी हैं। पिछले चेस विश्व कप के फाइनल में भी उन्होंने कार्लसन को कड़ी टक्कर दी थी। वह इससे पहले भी कार्लसन को हराने की वजह से चर्चा में आए थे। रमेशबाबू प्रगनाननंदा कौन हैं और शतरंज की दुनिया में अब तक उनका सफर कैसा रहा है।
प्रगनाननंदा 12 साल की उम्र में ही ग्रैंडमास्टर बन गए थे। उनका जन्म 10 अगस्त 2005 को चेन्नई में हुआ था। वह तीन साल उम्र में ही शतरंज से जुड़ गए थे। प्रगनाननंदा के पिता रमेशबाबू बैंक में करते हैं। उन्होंने पोलियो से ग्रसित होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और बच्चों का अच्छे से पालन-पोषण किया। प्रगनाननंदा की बड़ी बहन वैशाली को भी यह खेल पसंद था और उन्हें देखकर ही प्रज्ञानानंद ने शतरंज खेलना शुरू किया।
कार्टून से दूर रखना चाहती थी बहन
वैशाली चाहती थीं कि प्रगनाननंदा टीवी में कार्टून कम देखें। इसी वजह से उन्होंने अपने छोटे भाई को शतरंत का चालें सिखा दी। उस समय उनकी बड़ी बहन को भी यह एहसास नहीं था कि छोटा भाई आगे चलकर शतरंज में कमाल कर देगा।
मां ने हमेशा किया सपोर्ट
प्रगनाननंदा की सफलता में उनकी मां का बड़ा योगदान है। बचपन से ही शतरंज से जुड़े हर टूर्नामेंट में खेलने के लिए उन्हें लाने और ले जाने की जिम्मेदारी उनकी मां पर थी। वह वैशाली और प्रगनाननंदा दोनों को शतरंज में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थी और हमेशा उनके सपोर्ट में खड़ी रहती थीं।
12 साल की उम्र में रचा था इतिहास
प्रगनाननंदा के लिए साल 2018 खास रहा। वह महज 12 साल की उम्र में ही ग्रैंडमास्टर बन गए थे। वह भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने थे। इस मामले में उन्होंने विश्वनाथन आनंद को पीछे छोड़ा था। आनंद 18 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने थे। प्रगनाननंदा दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने थे। उनसे आगे सिर्फ यूक्रेन के सिर्जी कर्जाकिन हैं। वह साल 1990 में सिर्फ 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बन गए थे।
प्रगनाननंदा को पसंद है क्रिकेट
प्रगनाननंदा शतरंज के अलावा क्रिकेट का भी शौक रखते हैं। मौका मिलने पर वो क्रिकेट मैच खेलने भी जाते हैं। हालांकि, शतरंज में करियर बनाने के चलते उन्होंने क्रिकेट के मैदान पर कोई उपलब्धि नहीं हासिल की है, लेकिन उन्हें क्रिकेट खेलने और मैच देखने का शौक है।