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Saturday, May 4, 2024

हिमाचल प्रदेश में चुनावी मुद्दा इस बार है कुछ अलग, दोनों राजनीतिक दलों के नेता मुखर

धर्म की राजनीति से अछूते रहे हिमाचल में हिंदुत्व भी चुनावी मुद्दा बनने लगा है। प्रदेश की जनसंख्या में 97 फीसदी लोग हिंदू हैं, ऐसे में इस वोट बैंक को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए दोनों राजनीतिक दलों के नेता मुखर हो गए हैं। मंडी सीट पर भाजपा प्रत्याशी कंगना रणौत और कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह के बीच खुद को बड़ा सनातनी बताने की जुबानी जंग छिड़ी हुई है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, नेता विपक्ष जयराम ठाकुर और भाजपा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल भी इस मुद्दे को लेकर बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। प्रदेश के इतिहास में अभी तक हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों में विकास और अनदेखी ही मुख्य तौर पर चुनावी मुद्दा बनता रहा है। देवभूमि होने के नाते यहां देवी-देवताओं का हर वर्ग पूरा सम्मान करता रहा है, लेकिन देवी-देवताओं को लेकर भी कभी चुनावी माहौल नहीं बनाया गया। देश की राजनीति इन दिनों हिंदुत्व के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है। 

सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष के तकरीबन सभी दल हिंदुत्व के एजेंडे पर अपने कदम बढ़ाते नजर आ रहे हैं, ऐसे में हिमाचल भी इससे अछूता नहीं रहा है। अभिनेत्री कंगना रणौत के मंडी संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के बाद से प्रदेश में राजनीतिक माहौल बदल गया है। कंगना भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं की राह पर चलते हुए अपने प्रचार के पहले दिन से हार्ड हिंदुत्व की बात कर रही हैं। सीट पर कंगना का मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह से है। विक्रमादित्य भी बीते कुछ वर्षों से कांग्रेस की तरह साफ्ट हिंदुत्व की राह पर चलने की जगह भाजपा की तरह ही हार्ड हिंदुत्व की बात करते रहे हैं। ऐसे में इन दोनों प्रत्याशियों की जुबानी जंग ने प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है। 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने वाले विक्रमादित्य प्रदेश के एकमात्र राजनेता रहे हैं।

सुक्खू और अग्निहोत्री भाजपा पर लगा चुके हैं धर्म की राजनीति का आरोप 
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी भाजपा पर धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए खुद को बड़ा धर्म रक्षक बताते हैं। मुख्यमंत्री खुले तौर पर कह चुके हैं कि भाजपा से हमें अपने देश भक्त और हिंदू होने का सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है। हम नियमित तौर पर पूजा-पाठ करने और मंदिर जाने वालों में हैं। 

नेता विपक्ष जयराम, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. बिंदल भी उठा रहे मुद्दा
नेता विपक्ष जयराम ठाकुर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की साफ्ट हिंदुत्व की रणनीति को उठाकर प्रदेश सरकार को घेर रहे हैं। आने वाले दिनों में नामांकन शुरू होने के साथ प्रचार तेजी पकड़ेगा। अन्य राज्यों में चुनाव निपटाकर भाजपा-कांग्रेस के अधिकांश बड़े नेता चुनाव प्रचार के लिए हिमाचल की ठंडी फिजाओं का रुख करेंगे। 

अयोध्या जाने वाले पहले हिमाचली नेता, रामसेतु की गिलहरी तक कह चुकी हैं कंगना
सनातन धर्म को लेकर खुलकर बोलने लगे हैं। देवी-देवताओं में पूरी आस्था होने के साथ प्रदेश में सबसे पहले धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने का श्रेय भी विक्रमादित्य कांग्रेस को दे रहे हैं। कंगना राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की नीतियों और उनके गठबंधन के सहयोगियों को लेकर हमला बोलने का मौका नहीं छोड़तीं। वह पीएम मोदी को श्रीराम का अंश और खुद को रामसेतु की गिलहरी कह चुकी हैं।

राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की हार को भाजपा ने भगवान राम से जोड़ा
हिमाचल में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान हुई कांग्रेस प्रत्याशी की हार को भी भाजपा ने भगवान राम से जोड़ा है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने बीते दिनों बयान देकर कहा था कि कांग्रेस राज्यसभा के उम्मीदवार के रूप में उस व्यक्ति को दिल्ली से लेकर लाई, जिसने न्यायालय में भगवान राम के अस्तित्व को चुनौती दी। भगवान राम को केवल उपन्यास से जोड़ा और राम सेतु का भी उपहास किया। बिंदल ने कहा कि इसके विरोध में ही हिमाचल के 9 विधायकों ने कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार के खिलाफ मतदान किया।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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