Congress President Election 2022 : साल 1998 से अब तक पूरे चौबीस साल के बाद स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाली कांग्रेस पार्टी को अब गैर गांधी अध्यक्ष मिलने जा रहा है। अध्यक्ष पद पर होने जा रहे चुनाव के लिए शनिवार 24 सितंबर से नामांकन भरे जाएंगे। नामांकन 30 सितंबर तक भरे जा सकेंगे। इस चुनाव में गांधी परिवार अपनी चुनौती भी पेश नहीं करेगा। कांग्रेस नेता अशोक गहलोत और शशि थरूर के चुनाव मैदान में उतरने की बात पहले ही साफ हो चुकी है।
17 अक्तूबर को होगा मतदान
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए घोषित किए गए कार्यक्रम के अनुसार, नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 24 से 30 सितंबर तक चलेगी। नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि आठ अक्तूबर है। एक से अधिक उम्मीदवार होने पर 17 अक्तूबर को मतदान होगा और नतीजे 19 अक्तूबर को घोषित किए जाएंगे। इधर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साफ कर दिया है कि वह चुनाव लड़ेंगे। इसके साथ ही उन्होंने राहुल गांधी को लेकर भी तस्वीर साफ कर दी है।
मैं अध्यक्ष का लड़ूंगा चुनाव, सीएम पर फैसला आलाकमान करेगा : गहलोत
कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों को लेकर चल रहे कयासों के बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को एलान किया कि वह पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे। साथ ही कहा कि राजस्थान मुख्यमंत्री का फैसला पार्टी आलाकमान करेगा।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलने आए गहलोत ने कहा कि वह अपने नामांकन के लिए जल्द ही तारीख तय करेंगे। उन्होंने कहा कि देश के मौजूदा हालात को देखते हुए यह जरूरी है कि विपक्ष मजबूत हो। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी से पार्टी अध्यक्ष की कमान संभालने का आग्रह किया था, लेकिन वह अपने पहले के रुख पर ही कायम हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि इस बार गांधी परिवार के बाहर का ही अध्यक्ष होगा। राजस्थान में खुद के उत्तराधिकारी के सवाल पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि इसका फैसला पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राजस्थान प्रभारी अजय माकन करेंगे।
राज्य की आजीवन सेवा करने की टिप्पणी में क्या है गलत?
महाराष्ट्र के शिरडी स्थित साईंबाबा मंदिर के दर्शन के बाद गहलोत ने कहा कि ‘एक व्यक्ति, एक पद’ की बहस अनावश्यक है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के लोगों की सेवा करने की इच्छा संबंधी उनके बयान को गलत ढंग से लिया गया। पार्टी के एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत पर उन्होंने कहा कि मीडिया में यह चर्चा थी कि वह राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ना चाहते हैं। यह बहस अनावश्यक है।
वह इस पर चुप थे लेकिन वह इसे पहले भी कहते रहे हैं, आज भी कह रहे हैं और कांग्रेस अध्यक्ष का नामांकन करने के बाद भी कहेंगे कि वह राजस्थान से हैं और वह आजीवन अपने राज्य की सेवा करना चाहेंगे। यह कहने में आखिर क्या गलत है? लोगों ने उनके इस बयान का गलत अर्थ निकाला। मीडिया ने भी इसकी गलत व्याख्या की। इससे पहले राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को दोटूक कहा था कि पार्टी एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत पर कायम रहेगी। राहुल के बयान के बाद गहलोत के दो पदों पर काबिज रहने को लेकर सुर बदल गए।