देश के इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में हर बीतते दिन के साथ हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। जनता सड़कों पर हिंसक हो रही है, तो दूसरी ओर सियासी घमासान भी चरम पर है। लेकिन इन सबके बीच द्विपीय देश में आर्थिक संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा। अब नए प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे ने देश को मौजूदा संकट के उबारने के लिए सरकारी एयरलाइन बेचने और नई करेंसी छापने जैसे बड़े फैसले किए हैं।
रनिल विक्रमसिंघे ने कसी कमर
गौरतलब है कि बीते गुरुवार को ही रनिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था। इसके बाद उन्होंने बड़े आर्थिक संकट को झेल रहे देश को उबारने के लिए स तरह के बड़े फैसले किए हैं। एक रिपोर्ट में बताया गया कि विक्रमसिंघे की ओर से सरकारी एयरलाइन बेचने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके अलावा सरकार नई करेंसी छापने का भी फैसला कर रही है, क्योंकि वर्तमान हालातों को देखें तो सरकार के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसा नहीं हैं।
जरूरी सामनों के मोहताज जनता
श्रीलंका में बीते कुछ ही महीनों में आर्थिक संकट ने इस कदर विकराल रूप धारण कर लिया कि देश की जनता त्राहि-त्राहि करने लगी। देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है जिसके चलते जरूरी सामानों का आयात करने में भी श्रीलंका सक्षम नहीं है। गौरतलब है कि देश अपनी जरूरत ज्यादातर चीजें आयात करता है। इसमें दवा से लेकर तेल तक सब शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका के कुल आयात में पेट्रोलियम उत्पादों की हिस्सेदारी पिछले साल दिसंबर में 20 फीसदी थी। लेकिन, विदेश मुद्रा भंडार में आई कमी के चलते श्रीलंका की सरकार ईंधन समेत जरूरी चीजों का आयात करने में विफल हो रही है। इससे देश में जरूरी सामनों की किल्लत होती जा रही है और इनके दाम दिन-ब-दिन आसमान छूते जा रहे हैं।
21.5 फीसदी के शिखर पर महंगाई
बीते दिनों जारी किए गए श्रीलंका में महंगाई के आंकड़ों को देखें तो यह मार्च में 21.5 फीसदी के नए उच्च स्तर पर पहुंच चुकी है। यहां बता दें कि एक साल पहले समान अवधि यानी मार्च 2021 में यह 5.1 फीसदी पर थी। देश के जनगणना और सांख्यिकी विभाग की ओर से जारी किए गए इन आंकड़ों के अनुसार, श्रीलंका में खाद्य पदार्थों पर महंगाई की बड़ी मार पड़ी है और यह मार्च में 29.5 फीसदी पर पहुंच गई है। हालात ये हैं कि पेट्रोल-डीजल मिल नहीं रहा है और रोजमर्रा की चीजों के दाम पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं। इस बीच ऊर्जा संकट ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया है। अब हर दिन दस घंटे तक यहां के लोगों को बगैर बिजली रहना पड़ रहा है।
राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज
महंगाई की मार झेल रहे श्रीलंका में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इन प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में लोगों की जान भी जा रही है। जनता देश में पैदा हुए इन हालातों के लिए राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे को जिम्मेदार ठहरा रही है और उनके इस्तीफे की मांग कर रही है। इस बीच आपको बता दें कि संसद में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ विपक्ष की ओर से पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव मंगलवार को संसद में नाकाम साबित हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, 119 सांसदों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया, जबकि केवल 68 सांसदों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया जिससे यह अविश्वास प्रस्ताव असफल हो गया। मतलब इसने 72 वर्षीय राष्ट्रपति राजपक्षे अपने पद पर काबिज रहेंगे।
विश्व बैंक ने दी श्रीलंका कां सहायता
श्रीलंका को विश्व बैंक से 160 मिलियन डॉलर (12,40,84,16,000 रुपये) की सहायता मिली है। प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि आर्थिक संकट के कारण चल रहे ईंधन और गैस की कमी के बीच वह इसका कुछ हिस्सा ईंधन खरीदने के लिए इस्तेमाल करने की संभावना पर विचार कर रहे हैं। विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्हें एडीबी (एशियाई विकास बैंक) से भी अनुदान मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक से प्राप्त पूरे धन का उपयोग ईंधन खरीदने के लिए नहीं किया जा सकता। विक्रमसिंघे ने सोमवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा था कि भारतीय क्रेडिट लाइन के तहत दो और पेट्रोल शिपमेंट इस सप्ताह और 29 मई तक आने वाले हैं। उनकी यह टिप्पणी तब आई जब आर्थिक संकट के कारण चल रहे ईंधन और गैस की कमी के विरोध में गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को यहां कई सड़कों को अवरुद्ध कर दिया है।
भारी कर्ज के जाल में श्रीलंका
यहा बता दें कि देश में जो हालात खराब हुए हैं, उसकी सबसे बड़ी वजह देश पर चीन समेत अन्य देशों का भारी-भरकम कर्ज है। आर्थिक संकट के बीच बीते दिनों सरकार ने 51 अरब डॉलर (3 लाख 88 हजार करोड़ रुपये) के इस कर्ज को चुकाने में अपने हाथ खड़े कर दिए थे। देश के हालातों की बात करें तो यहां ऊर्जा संकट इस कदर गहराया हुआ है कि हर रोज दस घंटे से ज्यादा बिजली कटौती की जा रही है। लोगों को एक ब्रेड का पैकेट भी 0.75 डॉलर (150) रुपये में खरीदना पड़ रहा है। यहीं नहीं एक किलोग्राम चावल और चीनी की कीमत 290 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। मौजूदा समय में एक चाय के लिए लोगों के 100 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं। एक किलो मिर्च की कीमत 710 रुपये हो गई, जबकि बैंगन की कीमत 51 फीसदी बढ़ी, तो प्याज के दाम 40 फीसदी तक बढ़ गए। एक किलो आलू के लिए 200 रुपये तक चुकाने पड़े।
आजादी के बाद सबसे बड़ा संकट
गौरतलब है कि द्विपीय देश श्रीलंका इन दिनों 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद इतिहास के सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। इसकी प्रमुख वजह देश का विदेशी मुद्रा भंडार कम होना है। वर्तमान हालातों को देखें तो फॉरेक्स रिजर्व लगभग खत्म हो चुका है। देश जरूरी सामानों का आयात करने भी भी असमर्थ है। ये बड़ा कारण है श्रीलंका में पनपे इस विकराल आर्थिक संकट का। देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बर्बाद होने की कगार पर पहुंच चुकी है और हालात सुधरते दिखाई नहीं दे रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या नए प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के फैसले देश को संकट से उबारने में सफल हो सकेंगे।