सफलता डॉट कॉम द्वारा रोल एंड स्कोप ऑफ न्यू इरा मार्केटिंग विषय पर आयोजित किये गए मास्टर क्लास सेशन में गेस्ट स्पीकर आईएमआई भुवनेश्वर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शीरशेन्दु गांगुली ने कहा कि मार्केटिंग कैसे किया जाता है इसे आप हेनरी फोर्ड के प्रसिद्ध डायलॉग “आपको जो कलर चाहिये मैं दे सकता हूं लेकिन वह ब्लैक होना चाहिए” फोर्ड इन ब्लैक, से समझ सकते हैं। भारत में शुरुआती दिनों में मार्केटिंग की बात करें तो कार के नाम पर केवल हमारे पास एम्बेस्डर कार हुआ करती थी। अगर आप किसी को उस टाइम पर स्कूटर लेना होता था तो केवल एक विकल्प बजाज चेतक स्कूटर लेने का होता था। उसमें भी लोगों को 6 महीने अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता था। तो पहले भारत में मार्केटिंग के नाम पर सेल्स ओरिएंटेड जॉब्स हुआ करती थीं।
ये भी सीखें
मास्टर डिजिटल मार्केटिंग प्रोग्राम
एडवांस डिजिटल मार्केटिंग ऑनलाइन प्रोग्राम
मार्केट की डिमांड फुलफिल करती है सेल्स और मार्केटिंग से क्रिएट होती है नई डिमांड
उन्होंने मार्केटिंग के एक पहलू सेल्स पर बात करते हुए कहा कि सेल्स मार्केट की डिमांड को फुलफिल करता है। कंपनी का क्या नीड है उस पर काम करती है। जबकि मार्केटिंग से बाजार में नई डिमांड क्रिएट की जाती है। मार्केटिंग कंपनी प्रोडक्ट की लांचिंग, अवेयरनेस कैंपेन्स पर काम करती है। कस्टमर की क्या मांग है उस पर काम करती है। डॉ. गांगुली ने पिछले दशकों में मार्केटिंग के उद्भव पर बात करते हुए कहा कि डिजिटल मार्केटिंग की शुरूआत कोलेबोरेटिव फिल्टरिंग से हुई है। अब ये कोलेबोरेटिव फिल्टरिंग क्या है इस पर उन्होंने कहा कि मान लो आप अमेजन वेबसाइट पर गए आपने कुछ सर्च किया, या खरीदा, अगली बार फिर से आपने कुछ सर्च किया कुछ खरीदा। जैसे ही आप खरीदने जाएंगे तो आपको नीचे बॉक्स में लिखा आएगा इस व्यक्ति ने इस सामान के साथ-साथ ये भी खरीदा है। दरअसल इस एल्गोरिद्म से कस्टमर की सर्च और पिछली खरीद से कस्टमर को रिकमंड किया जाता है।
कोलेबोरेटिव फिल्टरिंग से हुई डिजिटल मार्केटिंग की शुरूआत
कोलेबोरेटिव फिल्टरिंग से डिजिटल मार्केटिंग की शुरूआत होने के बाद कंपनियां परमिशन बेस्ड मार्केटिंग करने लगीं। परमिशन बेस्ड मार्केटिंग पर डॉ. शीरशेंदु ने कहा कि पहले क्या होता था कि हर किसी को एसएमएस, कॉल्स की जा सकती थीं। लेकिन धीरे धीरे लोगों को यह परेशान करने लगा लोगों ने डू नॉट कॉल, डू नॉट डिस्टर्ब जैसी सेवाएं लेनी शुरू कर दीं। अब कस्टमर से ये पूछा जाता है कि आप कौन कौन से प्रोडक्ट का मार्केटिंग देखना चाहते हैं। तब कस्टमर कुछ चुने हुए प्रोडक्ट को देखने की हामी भरता है। यहीं से आधुनिक युग की मार्केटिंग की शुरूआत हुई। जिसमें सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन, पे पर क्लिक, सोशल मीडिया मार्केटिंग, ब्लॉग्स, ई मेल मार्केटिंग, एसएमएस व व्हाट्सअप मार्केटिंग जैसी टेक्नीक्स शामिल हो गईं। अब डिजिटल मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, प्रोफेशनल प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब हर कोई सोशल मीडिया पर है तो आपको यह सोचना है कि कैसे किस प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट के बारे में बात करनी है।
किसी भी प्लेटफॉर्म पर मार्केटिंग के लिए डेटा है महत्वपूर्ण
डिजिटल मार्केटिंग के प्रभावी तरीके के करने के लिए उन्होंने डेटा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मार्केटिंग में 3 चीजें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं वो हैं डेटा डेटा एंड डेटा। यानी किसी भी प्लेटफॉ़र्म पर मार्केटिंग के लिए डेटा बहुत महत्वपूर्ण है। जितना डेटा आपके पास है उतना ज्यादा आप मार्केटिंग कर सकते हैं उतना अच्छे से आप उसको एनालिसिस कर सकते हैं। एनालिसिस में आप कस्टमर के व्यवहार को समझ सकते हैं कि कस्टमर क्या खरीद रहा है क्यों खरीद रहा है। मार्केट में किस चीज की डिमांड हो रही है। उन्होंने कहा कि कस्टमर फ्लिपकार्ट, अमेजॉन या आपके प्लेटफॉर्म पर किसी प्रोडक्ट को सर्च करने आता है तो कस्टमर एक्सपीरिएंस को बेहतर बनाने पर काम करना होता है। यू एक्स ऑप्टिमाइजेशन के जरिये आप ये कर सकते हैं। इसके लिए भी डेटा की जरूरत होती है। एड कैंपेन कैस परफॉर्म कर रहा है आपका चैनल कैसा परफॉर्म कर रहा है इसके लिए भी आपको डेटा की जरूरत होती है।
बेहतर मार्केटिंग के लिए सीआरएम और डेटा एनालिसिस पर काम करना जरूरी
उन्होंने कहा कि जैसे आपने 1 लाख लोगों को कोई मैसेज भेजा तो आपको ये देखना होता है कि कितने लोगों ने आपका प्रोडक्ट खरीदा, यानी कितने लोग वास्तव में आपके कस्टमर बने। इसके लिए भी डेटा चाहिए। इसे हम कन्वर्जन कहते हैं। इसके अलावा आपको कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट यानी सीआरएम पर भी काम करना होता है। इसके लिए भी आपको डेटा और एनालिसिस की जरूरत होती है। इसलिये डेटा बहुत महत्वपूर्ण है। ये डेटा हमें कस्टमर इंफोर्मेशन, कस्टमर बीहैवियर, कस्टमर फीडबैक, फाइनेंसियल डेटा, कैंपेन परफॉर्मेंस, मार्केट रिसर्च आदि से मिलता है। डेटा मिलने के बाद आपको इसको एनालाइज करना होता हो जो आप 4 तरीके से कर सकते हैं। पहले एनालिसिस प्रकार में डिजिटल एनालिटिक्स, प्रोडक्ट रिपोर्ट और कैंपेन परफॉर्मेंस जैसी चीजें शामिल होती हैं। इस प्रकार को बिजनेस इंटेलीजेंस कहते हैं। इसमें आपको पता चलता है कि आपका बिजनेस कैसा चल रहा है। जैसे कोई कंपनी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से प्रोडक्ट बेच रही है तो आपका चैनल रिपोर्ट बताएगा किस माध्यम में अच्छी बिक्री हो रही है। दूसरा है डिस्क्रिप्टव एनालिटिक्स जिसमें आप कस्टमर के प्रोफाइल बनाते हैं, किस प्रकार के कस्टमर आपके प्लेटफॉर्म पर आ रहे हैं। उनकी उम्र और जेंडर क्या है। उनकी शिक्षा, आय क्या है। जिसको हम मार्केटिंग में सेगमेंटेशन, टार्गेटिंग और पोजीशन(एसटीपी) में इस्तेमाल करते हैं। तीसरे एनालिसिस प्रकार में भविष्य की सेल्स के बारे में हम विचार करते हैं। इसे प्रिडिक्टिव मॉडलिंग कहते हैं। और चौथे प्रकार का एनालिटिक प्रकार है ऑप्टिमाइजेशन। इसमें मार्केटिंग मिक्स तय होता है, कि आपका 4 पोडक्ट, प्राइस, प्लेस, प्रमोशन आप कैसे करेंगे।