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Wednesday, May 22, 2024

दिल्ली- चुनौती देगी दिल्ली सरकार आरोपियों को रिहा करने के आदेश,उपराज्यपाल ने दी मंजूरी

दिल्ली के उपराज्यपाल ने 2012 में दुष्कर्म और हत्या के एक मामले में तीन दोषियों को बरी करने के खिलाफ दिल्ली सरकार द्वारा एक पुनर्विचार याचिका दायर करने की मंजूरी दे दी है। दिल्ली सरकार छावला गैंगरेप हत्या में 3 दोषियों की रिहाई और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। सूत्रों के हवाले से खबर है कि मामले का प्रतिनिधित्व करने के लिए SG तुषार मेहता और अतिरिक्त SG ऐश्वर्या भाटी की नियुक्ति को भी उपराज्यपाल ने मंजूरी दी है।

बता दें कि छावला गैंगरेप-हत्या में सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर के शुरुआती सप्ताह में आरोपियों को रिहा करने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाया पीड़िता का क्षत-विक्षत शव घटना के तीन दिन के बाद बरामद किया गया था। शरीर पर गहरे जख्म मिले थे। इस घटना पर निचली अदालत ने तीन आरोपियों को दोषी ठहराया था। जिसको लेकर दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेगी

छावला इलाके में साल 2012 में घटना को अंजाम दिया गया था जिसने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थी। तीन युवकों ने इलाके की रहने वाली 19 साल की युवती को कार से अगवा कर लिया और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद उसकी आंखों में तेजाब डालकर मार डाला। घटना 14 फरवरी 2012 की है। युवती काम खत्म करने के बाद शाम को अपने घर जा रही थी। इसी दौरान रास्ते में तीन युवकों ने कार से उसे अगवा कर लिया। काफी देर तक बेटी के घर नहीं पहुंचने पर परिवार वालों को चिंता सताने लगी और वह अपने स्तर पर अपनी बेटी की तलाश शुरू की। उसके बाद परिजनों ने पुलिस को घटना की जानकारी दी।

पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज कर जांच शुरू की। शुरूआत में पुलिस को पता चला कि तीन युवक पीड़िता को कार से अगवा कर ले गए हैं। पुलिस ने कुछ दिन बाद इस मामले में तीन आरोपी रवि कुमार, राहुल और विनोद को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि आरोपियों ने युवती को अगवा करने के बाद उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इस दौरान कार में इस्तेमाल होने वाले औजारों से उसे पीटा गया। उसके शरीर को सिगरेट से जलाया गया।

बदहवास हो गई युवती की दोनों आखों में तेजाब डालकर उसकी हत्या कर दी। इस मामले में निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद दोषियों की तरफ से सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के पलटते हुए तीनों दोषियों को बरी कर दिया था।

सिर्फ नैतिक दोष या संदेह के आधार पर आरोपी दोषी नहीं

सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ताओं को उनके निष्पक्ष सुनवाई के अधिकारों से वंचित किया गया। ट्रायल कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालतें केवल नैतिक दोष या संदेह के आधार पर आरोपी को दोषी नहीं ठहरा सकती हैं। यह सच हो सकता है कि यदि जघन्य अपराध में शामिल अभियुक्तों को दंडित नहीं किया जाता है या बरी कर दिया जाता है, तो सामान्य रूप से समाज और पीड़ित के परिवार को दुख और निराशा हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसी भी प्रकार के बाहरी नैतिक दबावों से प्रभावित हुए बिना हर मामले को अदालतों में सख्ती से योग्यता और कानून के अनुसार तय किया जाना चाहिए। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे आरोपों को साबित करने में विफल रहा।

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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