राष्ट्र सेविका समिति प्रवेश वर्ग के समापन समारोह में राष्ट्र सेविका समिति के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख डॉ लीना ने कहा कि भारतीय नारी की स्व चेतना से ही नई पीढ़ी भारत का चाहू विकास संभव. वर्ग में आई 200 बालिकाओं और उनके परिजनों को संबोधित करते हुए डॉ लीना ने कहा कि समाज के एक-एक बिंदु का विकास ही समिति का प्रथम कर्तव्य है और विकास का अध्याय 5 स्व है 5 स्व का विवरण देते हुए उन्होंने बताया कि स्वधर्म, स्वसंस्कृति स्वदेश, स्वाभिमान, स्वावलंबन यही भारत के स्व की पहचान है व्यक्ति और समाज जब इस बात पर स्वर्ग का विचार करता है सभी देश विकसित और आत्मनिर्भर होकर प्रगति के मार्ग की ओर बढ़ता है उन्होंने कहा कि भारत की महिलाओं के आत्म बल मानसिक और बौद्धिक स्तर पर बेहद सशक्त है जो हर परिस्थिति में जीत सुनिश्चित करती है स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत रूपी गरूर को अगर उसे आसमान में उड़ना है तो उसके दोनों पंख समान रूप से सफल होने चाहिए एक पंख महिला तो दूसरा पुरुष महिलाएं परिवार के साथ-साथ समाज को भी नेतृत्व प्रदान करें इसके लिए आवश्यक है कि महिलाओं महिलाओं का मानसिक शारीरिक बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास हो, राष्ट्रीय सेविका समिति का यह कार्य 1936 में गठन के बाद से भी लगातार महिलाओं के लिए कर रही है राष्ट्र सेविका समिति भारत की नई विश्व की सबसे बड़ी महिला संगठन है जो पिछले 87 वर्ष से महिलाओं में मातृत्व नेतृत्व विकसित कर रही है
15 दिनों के इस प्रवेश वर्ग में 20 मई को जब 200 बालिकाएं, किशोरियों और महिलाएं 15 दिन के प्रशिक्षण शिविर में आई थी तब उन्हें अंदाजा नहीं था कि उनका शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक रूप से इस तरह से विकास होगा यहां रहकर ना केवल उन्होंने अपने देश की सांस्कृतिक के बारे में जानकारी प्राप्त की बल्कि प्रवेश वर्ग में 14 वर्ष से लेकर 55 वर्ष तक की महिलाओं ने एक साथ रहकर समाजिक आत्मनिर्भरता बालिकाओं ने आत्मरक्षा कराती योग कराटे योग चाप कला दंड प्रहार बाइक स्टैंड के गुण भी सीखें यह प्रशिक्षण शिविर अच्छे नागरिक का निर्माण करती है जो जो देश के विकास में सहायक सिद्ध हो