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Saturday, May 18, 2024

श्रीलंका में आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन जारी

श्रीलंका में दशकों के सबसे खराब आर्थिक संकट के बीच जहां जरूरी चीजों की मूल्यवृद्धि के विरोध में राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन चल रहे हैं वहीं 50 से ज्यादा सांसदों द्वारा सत्तारूढ़ गठबंधन से हाथ खींचने के बावजूद श्रीलंकाई मंत्री ने कहा है कि राष्ट्रपति किसी भी सूरत में इस्तीफा नहीं देंगे। हालांकि राष्ट्रपति गोतबाया ने 1 अप्रैल को देश में लगाया आपातकाल मंगलवार देर रात वापस ले लिया है।

दरअसल, कर्ज संकट में डूबे श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी के चलते आयात का भुगतान तक मुश्किल हो गया है। ऐसे में देशभर में राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शनों और दर्जनों सांसदों द्वारा सत्तारूढ़ गठबंधन से बाहर होने पर अपनी अल्पमत सरकार को लेकर राष्ट्रपति इस समय जबरदस्त दबाव में हैं।

इस बीच, सरकार के मुख्य सचेतक (व्हिप) मंत्री जॉनस्टन फर्नांडो ने संसद में असंतुष्ट नेताओं के ‘गो होम गोटा’ नारे पर कहा, सरकार संकट का सामना करेगी लेकिन इसके लिए राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे किसी भी सूरत में इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने कहा, विपक्षी दल हिंसा भड़का रहे हैं, लेकिन देश में ‘ठग राजनीति’ कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बता दें, श्रीलंकाई नागरिक ईंधन, बिजली, भोजन व दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं।

 

चीन के खिलाफ भी लोगों में उबाल

लगातार गहराते आर्थिक संकट के बीच देश में चीन के खिलाफ भी लोगों में उबाल बढ़ता जा रहा है। श्रीलंकाई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार के पास पैसा नहीं है, क्योंकि उसने चीन को सब कुछ बेच दिया है। चीन दूसरे देशों को उधार देकर उनका सब कुछ खरीद ले रहा है। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास तक एक रैली भी निकाली और मांग की कि वे तुरंत पद छोड़ें ताकि नई सरकार नए फैसले ले सके।

 

गिर सकती है सरकार

सत्तारूढ़ गठबंधन ने वर्ष 2020 में हुए आम चुनावों में 150 सीटें जीती थीं लेकिन अब देश में आए संकट के बाद 50 से ज्यादा सांसदों ने उनसे समर्थन वापस ले लिया है। अब राजपक्षे सरकार के सांसदों की संख्या 113 से भी कम हो गई है जिसके बाद सरकार के बने रहने पर बादल मंडरा रहे हैं। गौरतलब है कि श्रीलंका के सदन में 225 सदस्य होते हैं। ऐसे में अल्पमत में आई गोतबाया सरकार को लेकर संसद में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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