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Saturday, May 4, 2024

दिल्ली, मध्य रात्रि से सभी सरकारी ठेके बंद, कल से सिर्फ निजी दुकान पर शराब की बिक्री

औपचारिक रूप से दिल्ली में शराब के सरकारी ठेके अब बंद हो जाएंगे। यह कारोबार अब सिर्फ निजी बिक्रेताओं के हवाले होगा। दिल्ली में मंगलवार से करीब 400 शराब के ठेकों पर ताला लग जाएगा। निजी शराब बिक्रेता ही शराब की दुकानों में शराब की बिक्री करेंगे।

क्योंकि दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति बुधवार सुबह लागू हो जाएगी। हालांकि आशंका जाहिर की जा रही है कि अचानक से बड़ी संख्या में सरकारी ठेके की दुकान बंद होने से शराब की किल्लत भी होगी और निजी दुकानों पर अचानक भीड़ बढ़ जाएगी।

आबकारी विभाग के सूत्रों के अनुसार 17 नवंबर से सभी 850 नए ठेके एक बार में काम करना शुरू करने की संभावना नहीं है। विभाग के सूत्रों ने बताया कि 32 जोन में सभी आवेदकों को लाइसेंस वितरित कर दिया गया है। लेकिन नई व्यवस्था के तहत पहले दिन यानी बुधवार को 300-350 दुकानों का संचालन शुरू होने की संभावना है।

ऐसे में शराब मिलने में कठिनाई संभव है। 350 दुकानों को अंतरिम लाइसेंस वितरित किया गया है। 10 थोक लाइसेंसधारियों के साथ 200 से अधिक ब्रांड पंजीकृत किए गए हैं। हालांकि इस विभाग के अधिकारियों का कहना है कि धीरे-धीरे सभी 850 शराब के ठेके काम करना शुरू कर देंगे और उसके बाद कोई कमी शराब की नहीं होगी।

दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के तहत निजी तौर पर चलने वालीं 260 दुकानों समेत सभी 850 शराब की दुकानें खुली निविदा के जरिए निजी कंपनियों को वितरित की गई हैं। निजी शराब की दुकानों ने पहले ही 30 सितंबर को अपना संचालन बंद कर दिया था और डेढ़ महीने के संक्रमण काल में चल रहे सरकारी ठेके भी मंगलवार की रात को अपना कारोबार खत्म कर लेंगे। नए लाइसेंस धारक बुधवार से शराब की खुदरा बिक्री शुरू करेंगे।

नई व्यवस्था के तहत दिल्ली सरकार खुदरा शराब के व्यापार से बाहर हो जाएगी। शराब की दुकानें अब कम से कम 500 वर्ग फुट क्षेत्र में खोली जाएंगी। दुकानें अब वातानुकूलित व सीसीटीवी से लैस होंगी। नई दुकान की वजह से सड़क पर भीड़ नहीं लगेगी। क्योंकि शराब की बिक्री दुकानों के भीतर ही की जाएगी। नई आबकारी नीति के तहत 2,500 वर्ग फुट के क्षेत्रफल वाले पांच सुपर-प्रीमियम खुदरा विक्रेता भी दुकान खोलेंगे, जहां शराब पीने की भी सुविधा दी जाएगी।

 

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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