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Friday, May 17, 2024

रक्षा विशेषज्ञों ने किया बड़ा दावा, भारत की तकनीकी क्षमता का सबूत है मिशन दिव्यास्त्र

भारत ने सोमवार को पांच हजार किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली न्यूक्लियर बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ ही पूरा पाकिस्तान और चीन भी अब भारतीय मिसाइलों के जद में आ गया है। इस पर इंडियन स्पेस एसोसिएशन के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट (रिटायर्ड) समेत कई विशेषज्ञों ने खुशी जाहिर की और इसे भारत के लिए गर्व की बात बताया। 

जानिए क्या बोले विशेषज्ञ
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट (रिटायर्ड) ने कहा कि ‘मिशन दिव्यास्त्र, भारत के लिए गर्व का पल है। देश में ही विकसित अग्नि-5 मिसाइल के साथ MIRV तकनीक से यह सुनिश्चित होगा कि एक ही मिसाइल में कई वारहेड तैनात किए जा सकते हैं। इस परीक्षण के बाद भारत भी उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास MIRV तकनीक है। साथ ही इस मिसाइल में जो सेंसर्स और एवियोनिक्स लगे हैं, वो भी भारत में बने हैं और ये भारत की तकनीकी क्षमता का सबूत हैं। मैं इसके लिए डीआरडीओ के सभी वैज्ञानिकों को बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है।’ 

डीआरडीओ के पूर्व प्रवक्ता डॉ. रवि गुप्ता ने कहा कि यह देश के लिए यादगार दिन है, जब डीआरडीओ ने दिव्यास्त्र का सफल परीक्षण किया है। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है और इससे भारत के पास भी ऐसी क्षमता आ गई है, जो कम ही देशों के पास है। दिव्यास्त्र में वो सभी खासियत और सटीकता है, जो अग्नि-5 मिसाइल के पास है। अब अग्नि 5 मिसाइल पर एक से ज्यादा हथियारों से विभिन्न ठिकानों को टारगेट बनाया जा सकता है। इससे मिसाइल की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। 

क्या है MIRV तकनीक
लंबी दूरी की मिसाइल अग्नि-5 को डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है। यह मिसाइल मल्टीपल इंडीपेंडेंटली टारगेटेबल रि-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक पर आधारित है। एमआईआरवी तकनीक एक ही मिसाइल से कई टारगेट को निशाना बना सकती है। साथ ही अग्नि मिसाइल परमाणु हथियारल ले जाने में भी सक्षम है। अभी तक एमआईआरवी तकनीक सिर्फ अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन के पास ही है और इस मिसाइल को जमीन से या समुद्र से और पनडुब्बी से भी लॉन्च किया जा सकता है। ऐसी खबरें हैं कि पाकिस्तान और इस्राइल भी ऐसे मिसाइल सिस्टम को विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं। 

MIRV तकनीक की खास बात ये है कि इसकी मदद से कई हथियार ले जाए जा सकते हैं और अलग-अलग स्पीड और अलग-अलग दिशाओं में इन हथियारों से टारगेट को निशाना बनाया जा सकता है। यह काफी मुश्किल तकनीक है और यही वजह है कि सिर्फ कुछ ही देशों के पास यह तकनीक मौजूद है। अमेरिका ने साल 1970 में ही एमआईआरवी तकनीक विकसित कर ली थी और अब भारत भी उस ग्रुप का हिस्सा बन गया है, जिन देशों के पास एमआईआरवी तकनीक है।  

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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