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Sunday, May 19, 2024

टीकाकरण की रफ्तार को बढ़ाने के लिए डीसीजीआई का बड़ा फैसला, विदेशी कंपनियों को भारत में ट्रायल से छूट

कोरोना की दूसरी लहर और बढ़ते मामलों के खतरे को देखते हुए सरकार सिर्फ वैक्सीनेशन की रफ्तार को बढ़ाने पर जोर दे रही है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन कंपनियों का भारत में होना जरूरी है। इसलिए टीकाकरण की रफ्तार को बढ़ाने के लिए डीसीजीआई ने एक बड़ा फैसला लिया है। 

नहीं होगा अलग से स्थानीय ट्रायल
भारतीय दवा नियामक कंपनी यानी डीसीजीआई ने अब फाइजर और मॉडर्ना कंपनी को जल्द से जल्द भारत लाने के लिए इनके अलग से ट्रायल कराने की शर्तों को हटा दिया है। आसान भाषा में समझें तो जिन वैक्सीन को अमेरिकी एफडीए और विश्व स्वास्थ्य संगठन से आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है, उन्हें भारत में अलग से ट्रायल प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा। 

बता दें कि अभी तक किसी भी विदेशी कंपनी को भारत में कोरोना वायरस रोधी टीका शुरू करने से पहले ब्रिजिंग ट्रायल करना होता था। इसमें सीमित संख्या में स्थानीय स्वयंसेवकों पर टीके की प्रभावकारिता और सुरक्षा को परखा जाता है, जिससे अब कंपनियों को छूट मिल गई है।

दवा नियामक कंपनी ने जारी किया नोटिस
डीसीजीआई के अध्यक्ष वीजी सोमानी ने नोटिस जारी कर इस बात की जानकारी दी है। बता दें कि फाइजर और मॉडर्ना वो विदेशी वैक्सीन कंपनियां है, जिन्होंने सरकार से क्षतिपूर्ति और भारत में अलग से ट्रायल को लेकर छूट की मांग की थी। हालांकि भारत सरकार ने क्षतिपूर्ति पर कोई फैसला नहीं दिया है लेकिन अलग से ट्रायल ना कराने वाली बात मान ली है।
लाखों लोगों पर इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन को मिलेगी छूट
डीसीजीआई ने कहा कि ऐसे टीकों को मंजूरी दी जाती है जो अमेरिकी एफडीए, ईएमए, यूके एमएचआरए, पीएमडीए जापान द्वारा स्वीकृत हैं या डब्ल्यूएचओ के आपात इस्तेमाल सूची में सूचीबद्ध हैं और जिनका इस्तेमाल पहले ही लाखों लोगों पर किया जा चुका है। सीडीएल, कसौली द्वारा टीके की जांच करने तथा ब्रिजिंग ट्रायल से छूट दी जा सकती है।

दिसंबर 2021 तक सभी व्यस्कों को टीका लगाने का दावा
हालांकि नोटिस में कहा गया है कि इन टीके के पहले 100 लाभार्थियों पर सुरक्षा के मद्देनजर सात दिन तक निगरानी करनी होगी। बता दें कि सरकार ने दावा किया है कि वो जुलाई-अगस्त तक हर दिन एक करोड़ लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगाएगी और दिसंबर 2021 तक देश की व्यस्क आबादी का टीकाकरण पूरा हो जाएगा। हालांकि इस लक्ष्य को पूरा करने में सबसे बड़ी बाधा वैक्सीन की कमी है। ऐसे में विदेशी टीकों के आयात से वैक्सीन की कमी को पूरा किया जा सकता है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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